Indore Crime News: क्या डिप्रेशन की वजह से की पुलिस कांस्टेबल ने आत्महत्या या फिर है कोई और वजह?
Indore Crime News: इंदौर। शहर के गांधीनगर थाना क्षेत्र में एक पुलिसकर्मी ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इससे आसपास के इलाके में सनसनी फैल गई। प्रारंभिक जांच में यह बताया जा रहा है कि पारिवारिक विवाद की वजह से पुलिसकर्मी ने यह खौफनाक कदम उठाया है। मृतक के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, जिसके बाद पुलिस परिजनों के बयानों के आधार पर जांच में जुटी हुई है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पूरा मामला गांधीनगर थाना क्षेत्र का है, जहां के समर्थ सिटी में रहने वाले पुलिस आरक्षक महेश धामड़ ने अपने ही घर में आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि घटना के वक्त घर में कोई भी नहीं था। सभी किसी काम से बाहर गए हुए थे। जब परिजन घर लौटे तो काफी देर तक दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। परिजनों को चिंता सताने लगी और उन्होंने पडोसियों की मदद से घर का दरवाजा तोड़कर अंदर गए। कमरे में जाकर देखा तो महेश मृत हालत में मिले। इसके बाद परिजनों ने गांधीनगर पुलिस को मामले की सूचना दी। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा।
फिलहाल कारणों का पता नहीं
महेश इंदौर के सदर बाजार थाने में आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। पिछले काफी दिनों से नौकरी में अलग-अलग तरह के फरमान आने की वजह से भी वह डिप्रेशन में चल रहा था। इसके अलावा थाने में ड्यूटी भी काफी लंबी करनी पड़ती थी। वहीं, परिवार में भी विवाद की बात सामने आ रही है। शायद इन्हीं सब कारणों के चलते उसने इस तरह का कदम उठाकर आत्महत्या की। मृतक का मोबाइल फोन को पुलिस ने जांच के तौर पर जब्त कर लिया है। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
पीएम योजना के नाम पर साइबर फ्रॉड
वहीं, दूसरी घटना इंदौर से साइबर क्राइम की आ रही है। एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि क्राइम ब्रांच द्वारा संचालित साइबर सेल के पास हाल ही में ऐसी 7 शिकायते आई हैं, जिसमें वाट्सएप ग्रुप पर इन दिनों मैसेज आ रहे हैं। इसमें पीएम आवास योजना, पीएम किसान निधि योजना का लाभ लेने की जानकारी वाले मैसेज चल रहे है। इसमें एक एपीके फाइल भी होती है। इस पर क्लिक करने पर एक फार्म खुलता है।
जिसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर, बैंक खाते की जानकारी मांगी जाती है। इसके बाद किसी नंबर से फोन कर बताया जाता है कि आपने पीएम योजना के लिए अप्लाई किया है। आपके खाते में योजना का पैसा आ गया है। पीड़ित द्वारा मना करने पर खाता चेक करने के बहाने यूपीआई एप को खुलवाया जाता है। फिर इस तरह से खाते से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए पैसे ट्रांसफर कर लिए जाते है।
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