Bhind Viral Video: दबंगों ने श्मशान भूमि पर किया कब्जा, लोगों को तिरपाल लगाकर करना पड़ रहा अंतिम संस्कार
Bhind Viral Video: भिंड। देश को आजादी मिले 7 दशक से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन कुछ जगहों पर अभी तक मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं। मध्य प्रदेश के भिंड में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। मामला भिंड जिले के अटेर विधानसभा के गजना पंचायत (Bhind Viral Video) का है जहां एक वृद्ध की मौत हो जाने के बाद बारिश में त्रिपाल लगाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।
गजना गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर मुक्तिधाम की जगह तो है मगर टीन सेट न होने की वजह से बरसात में तिरपाल लगाकर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करना पड़ा। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि तेज बारिश के चलते आए दिन गांव में ऐसे अंतिम संस्कार करना पड़ता है।
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— MP First (@MPfirstofficial) August 12, 2024
भिंड में यह पहला मामला नहीं!
आपको बता दें कि भिंड में इसी तरह अंतिम संस्कार करने के कई शर्मसार करने वाले मामले सामने आए हैं। अभी हाल ही में गोहद क्षेत्र में मुक्तिधाम तक रास्ता न होने की वजह से घर के सामने अंतिम संस्कार करना पड़ा था और अब गजना गांव में तिरपाल लगाकर शवदाह किया गया। दोनों घटनाओं के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। गजना गांव में तिरपाल लगाकर बुजुर्ग के अंतिम संस्कार का मामला 11 अगस्त का बताया गया है।
मुक्तिधाम की जगह पर दबंगों का कब्जा, प्रशासन दिखा वेबस!
गजना गांव के सरपंच का नाम यूं तो धुरंधर सिंह है परन्तु धुरंधर भी इन दबंगों के सामने हल्के नजर आ रहे हैं। वह अब तक इन दबंगों से मुक्तिधाम की जमीन मुक्त नहीं करा पाए हैं। सरपंच का कहना है कि इसको लेकर वह सीमांकन के लिए आवेदन भी दे चुके हैं और जब सीमांकन के लिए टीम आई तो दबंगों ने सीमांकन नहीं होने दिया। सरपंच ने बताया कि जल्द ही सीमांकन के लिए टीम आएगी। सीमांकन होने के बाद मुक्तिधाम में टीन सेट लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
शासन प्रशासन के दावों की खुली पोल!
शासन प्रशासन भले ही प्रदेश में विकास कार्यों को लेकर लाख दावे व वादे करती हो, मगर भिंड जिले के गजना जैसे कई गांव आज भी है जहां या तो मुक्तिधाम नहीं है या मुक्तिधाम तक जाने के लिए पहुंचने का मार्ग नहीं है। सबसे बड़े दुख की बात तो यह है कि यह एक ही गांव या जगह की खबर नहीं है वरन कई जगहों पर ऐसे हालात बने हुए हैं। अब देखना होगा कि ऐसे गांव की समस्याओं को लेकर शासन प्रशासन कब जागेगा और इन गांवों में लोगों को सड़क पर, खेतों पर, अपने दरवाजे पर या खुले में तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार करने से कब मुक्ति मिलेगी।
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