Eco Friendly Rakhi: एमपी के इस गांव में महिलाएं बना रही हैं इकोफ्रेंडली राखी, बाद में जैविक खाद भी बना सकेंगे
Eco Friendly Rakhi: बुरहानपुर। आज पूरे विश्व में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। हमारे देश के शहर और गांव भी अब इसका अपवाद नहीं है। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में भी महिलाएं चूल्हे चौके की सीमा से बाहर निकल कर आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ी है।
केले के तने से बनती है राखियां
जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित फतेहपुर गांव में महिलाएं ईको फ्रेंडली राखियां बना रही हैं। इन राखियों को बनाने में केले के तने और पर्यावरण के अनुकूल दूसरी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। मार्केट में भी इन राखियों की अच्छी खासी मांग है।
10 हजार राखियां बनाने का है टारगेट
यहां पर अब तक 7 समूहों की 150 महिलाओं ने करीब 5 हजार राखियां (Eco Friendly Rakhi) बनाई है। इससे न केवल महिलाओं को रोजगार मिला है, बल्कि उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही हैं। इन महिलाओं ने दस हजार राखियां बनाने का लक्ष्य रखा है। इन राखियों की सबसे खास बात यह है कि ये बच्चों के लिए बेहतर है, इससे पर्यावरण को फायदा मिलेगा, साथ ही केमिकल युक्त राखियों से भी निजात मिलेगी।
19 अगस्त को मनाया जाएगा राखी का पर्व
पंचांग के अनुसार भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। भाईयों की कलाई पर बांधने के लिए बहनें बहनें सुंदर और आकर्षक राखियों की तलाश करती हैं। ऐसे में इस साल मार्केट में इको फ्रेंडली राखियां भी उपलब्ध हैं। ये राखियां न केवल भाइयों की कलाई की शोभा बढ़ाएंगी, बल्कि प्राकृतिक चीजों से बनी होने के कारण ये आपके गमलों में जैविक खाद भी बनाएगी। रक्षाबंधन के बाद इन राखियों को गमले में डालकर खाद बना सकते है।
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