Maa Baglamukhi Mandir: चमत्कारिक है द्वापर युगीन माता बगलामुखी मंदिर, तंत्र साधना के लिए आते हैं साधु-संत
Agar Malwa Maa Baglamukhi Mandir आगर मालवा: शक्ति की देवी मां दुर्गा आराधना का महापर्व शुरू हो गया है। माता की पूजा-अर्चना के लिए सुबह से मां दुर्गा के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है। कहते हैं मां के भक्तों की आस्था का एक ऐसा मंदिर जहां मां के दर्शन मात्र से ही कष्टों का निवारण हो जाता है। यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित विश्व प्रसिद्ध तांत्रिक स्थली मां बगलामुखी के पावन धाम में महाभारत काल में यहीं से पाण्डवों को विजयश्री का वरदान प्राप्त हुआ था। आइए जनाते हैं इस मंदिर की विशेषता और आखिर क्यों देश भर के साधु-संत यहां तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं।
चमत्कारिक है द्वापर युगीन माता बगलामुखी मंदिर
आगर मालवा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर पूर्वी दिशा में माता बगलामुखी मंदिर है। इस मंदिर में सिद्धिदात्री मां बगलामुखी जिनके एक ओर धन दायिनी महालक्ष्मी और दूसरी ओर विद्या दायिनी महासरस्वती विराजमान हैं।
विश्व में केवल तीन स्थानों पर मां बगलामुखी विराजित
दरअसल, मां बगलामुखी की पावन मूर्ति विश्व में केवल तीन स्थानों पर विराजित हैं। एक नेपाल में, दूसरी मध्य प्रदेश के दतिया जिले में और एक नलखेड़ा में विराजित हैं। मान्यता है कि नेपाल और दतिया में श्री श्री 1008 आद्या शंकराचार्य जी द्वारा मां की प्रतिमा स्थापित की गयी, जबकि नलखेड़ा में इस स्थान पर मां बगलामुखी पीताम्बर रूप में शाश्वत काल से विराजमान हैं। कहते हैं प्राचीन काल में यहां बगावत नाम का गांव हुआ करता था, जहां विश्व शक्ति पीठ के रूप में मा बगलामुखी मंदिर है।
मंदिर को लेकर क्या है मान्यता?
श्रद्धालुओं में मान्यता है कि, मां बगलामुखी की उपासना और साधना से माता वैष्णो देवी और मां हरसिद्धि के समान ही भक्त को शक्ति के साथ-साथ धन और विद्या की प्राप्ति होती है। सोने जैसे पीले रंग वाली, चांदी के जैसे सफेद फूलों की माला धारण करने वाली त्रिशक्ति के दैवीय स्वरूप के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
द्वापर युगीन माता बगलामुखी मंदिर
नलखेड़ा मंदिर के पुजारी मनोहरलाल पंडा के अनुसार, "सूर्योदय से पहले ही सिंह मुखी द्वार से प्रवेश के साथ ही भक्तों का मां के दरबार में हाजरी लगाना और अपनी मनोकामनाओ की पूर्ति के लिए अर्जी लगाने का सिलसिला अनादी काल से चला आ रहा है। चमत्कारी मूर्ति की स्थापना का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं, हालांकि मान्यता है कि यह मूर्ति स्वयं सिद्ध स्थापित है। काल गणना के हिसाब से यह स्थान करीब पांच हजार साल से भी पहले से स्थापित है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव जब विपत्ति में थे तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मां बगलामुखी के इस स्थान की उपासना करने करने के लिए कहा था, तब माता की मूर्ति एक चबूतरे पर विराजित थी।"
सभी दुख दूर कर देती हैं माता!
मनोहरलाल पांडा के मुताबिक, "पांडव इस त्रिगुण शक्ति स्वरूपा की आराधना करके विपात्तियों से मुक्त हुए और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया। यह एक ऐसा शक्ति स्वरूप है जहां कोई छोटा बड़ा नहीं। माता सभी के दुखों का निवारण करती हैं। माता बगलामुखी शत्रु की वाणी और गति का नाश करती हैं और अपने भक्तों को अभयदान देती हैं।"
माता बगलामुखी मंदिर की संरचना
मंदिर के आसपास की संरचना से दैवीय शक्ति (Agar Malwa Maa Baglamukhi Mandir) की अनुभूति होती है। मंदिर के उत्तर दिशा में भैरव महाराज का स्थान है, जबकि पूर्व में हनुमान जी की प्रतिमा है। हनुमान जी के पीछे चंपा नीम और बिल्वपत्र के पेड़ हैं। दक्षिण भाग में राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर है।
नवरात्रि में हवन का विशेष महत्व
मंदिर परिसर में नवरात्रि के दौरान हवन कराने का विशेष महत्व है। मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किए जाने वाले इस हवन में तिल, जौ, घी, नारियल आदि का होम किया जाता है। मान्यता है कि माता के सामने हवन करने से सफलता श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्रि में मां बगलामुखी मंदिर में 9 दिनों तक भंडारे का भी आयोजन किया जाता है।
ऐसे प्रसन्न होती हैं माता बगलामुखी!
माता बगलामुखी की प्रतिमा पीताम्बर (Mata Baglamukhi temple in Nalkheda) स्वरूप की है। इसलिए यहां पीले रंग की सामग्री चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि पिला कपड़ा, पिली चूनरी, पिला प्रसाद, पीले फूल चढ़ाने से माता बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामन पूर्ण करती हैं।
नवरात्रि में श्रद्धालुओं का तांता
वहीं, मंदिर के अनुविभागीय अधिकारी मिलिंद ढोंके ने कहा, "वैसे तो माता के इस मंदिर (Agar Malwa Maa Baglamukhi Mandir) में पूरे वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु माता बगलामुखी के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में नेता और फिल्मी सितारे भी माता के दरबार में पूजा-अर्चना कर चुके हैं।
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