Bijasan Mata Mandir MP: पुलिसकर्मी चप्पल पहन कर रहे गर्भगृह परिसर में ड्यूटी, हिंदू धर्म के अपमान पर नाराज हुए साधु-संत

Bijasan Mata Mandir MP: सीहोर। हिंदू मंदिरों में हिंदू धार्मिक मान्यताओं एवं नियमों का जिस तरह उल्लंघन हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि सरकार अब मठों और मंदिरों को कारखानों की तरह चलाना चाहती है। आस्था, श्रद्धा, भक्ति...
bijasan mata mandir mp  पुलिसकर्मी चप्पल पहन कर रहे गर्भगृह परिसर में ड्यूटी  हिंदू धर्म के अपमान पर नाराज हुए साधु संत

Bijasan Mata Mandir MP: सीहोर। हिंदू मंदिरों में हिंदू धार्मिक मान्यताओं एवं नियमों का जिस तरह उल्लंघन हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि सरकार अब मठों और मंदिरों को कारखानों की तरह चलाना चाहती है। आस्था, श्रद्धा, भक्ति सब एक तरफ रखकर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के नित नए उपाय ढूंढे जा रहे हैं। इस आनन-फानन में कहीं ना कहीं धार्मिक मान्यताओं और श्रद्धालुओं की भावनाओं का हनन भी हो रहा है। ऐसा ही एक मामला सीहोर के सलकनपुर धाम यानी बीजासन देवी मंदिर में देखने को मिला।

आरती के समय चप्पल पहने हुआ था पुलिसकर्मी

यहां पर आज मंगलवार छठ तिथि को प्रातः 5:00 बजे की प्रथम आरती के समय मंदिर की सुरक्षा में लगा एक स्टार वाला खाकी वर्दी पहने पुलिस का जवान मंदिर के अंदर ही चप्पल पहनकर घूमता देखा गया। वह मंदिर में सुबह की आरती के पहले से ही चप्पल पहने हुआ था। जब देवी जी की आरती चालू हुई तब भी उसने अपनी चप्पल नहीं उतारी। रिपोर्टर ने उससे चप्पल पहनने पर सवाल किया तो उन्हें बाहर क़ा रास्ता दिखाने लगा।

Bijasan Mata Mandir MP

कई पुलिसकर्मियों की वर्दी पर नहीं है नाम की पट्टिका

अब यहां पर प्रश्न यह उठता है कि क्या मंदिर प्रशासन ने इसे चप्पल पहन कर मंदिर (Bijasan Mata Mandir MP) के अंदर जाने की अनुमति दी थी या फिर पुलिस को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह ड्यूटी के दौरान किसी भी मंदिर के अंदर चप्पल पहन कर जा सकते हैं। यह हिंदू धर्म की आस्था का उल्लंघन है। अगर नियम कानून की बात करें तो कई पुलिसकर्मियों की वर्दी पर उनके नाम की पट्टिका भी नदारद है। हम बता दें कि पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी सलकनपुर मंदिर में हुई चोरी के मामले में सुरक्षा के लिए लगाए गए कैमरे बंद पाए गए थे।

आम श्रद्धालुओं को नहीं होते दर्शन, वीआईपी दर्शन बंद नहीं होते

सलकनपुर मंदिर में श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर या फिर वाहनों के द्वारा देवी दर्शन के लिए आते हैं। कोई हफ्ते भर पहले चला होगा तो किसी ने दो दिन पूर्व अपनी आस्था का सफर प्रारंभ किया होगा और न जाने कितनी कठिनाइयों से दो-चार होते हुए देवी मंदिर तक पहुंचता होगा। परंतु मंदिर तक पहुंचने के बाद भी देवी दर्शन दुर्लभ ही होते हैं। मंदिर में वीआईपी कल्चर के चलते पिछले दरवाजे से दर्शन करने वालों की कतार ही बंद नहीं होती है... क्या नेता क्या अधिकारी, पुलिस और न जाने कौन-कौन।

इन सभी को विशेष दरवाजे से गर्भगृह में ले जाया जाता है और इन्हें विशेष प्रसादी भी दी जाती है यानि ले-देकर प्रबंधन मंदिर (Bijasan Mata Mandir MP) की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकता नजर आता है। वही आम श्रद्धालु व्यवस्था के नाम पर लादे गए नियमों का पालन करते हुए मुश्किल से मंदिर में पहुंच पाते हैं फिर उन्हें पुलिस और पंडे, पुजारियों की दुत्कार भी झेलनी पड़ती है जबकि इसी दौरान वीआईपी दर्शन भी अनवरत रूप से जारी रहते हैं।

सैकड़ों वर्ष पूर्व रखी गई थी बीजासन माता के मंदिर की नींव

हम आपको बता दें कि सलकनपुर वाली देवीमाता की स्थापना लगभग 300 वर्ष पूर्व बंजारा समुदाय द्वारा की गई थी। परन्तु आज वर्तमान में यहां पर बंजारा संस्कृति जैसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। मामले की जानकारी लगने पर स्थानीय साधु और संत समाज ने उक्त एक स्टार पुलिसकर्मी की निंदा की है और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

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