Gwalior Digital Arrest: जिला मलेरिया अधिकारी हुए डिजिटल अरेस्ट का शिकार, ऐन मौके पर IPS दोस्त ने बचा लिया
Gwalior Digital Arrest: ग्वालियर। मध्य प्रदेश में एक बार फिर अपराधियों ने एक नागरिक को डिजिटल अरेस्ट कर उससे पैसे ऐंठने की कोशिश की। ग्वालियर के जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर विनोद दोनेरिया को शातिर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर उन्हें धमकाते हुए उनसे 50 हजार रुपए मांगे। हालांकि ऐन मौके पर उन्होंने अपने एक आईपीएस मित्र राकेश सागर से बात की और वह ठगों का शिकार होने से बच गए।
करीब साढ़े तीन घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहे डॉक्टर लेकिन थाना पुलिस ने टरका दिया
डिजिटल अरेस्ट के शिकार बने डॉक्टर विनोद ने बताया कि ठग उन्हें एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट कर आधार कार्ड तथा अन्य दस्तावेज की जानकारी लेकर परिवार के बारे में पूछते रहे। तकरीबन 3:30 घंटे की डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग उन्हें बार-बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने की धमकी देते रहे। ठगों ने उनसे कहा कि उनका मोबाइल नंबर मनी लांड्रिंग केस, यौन चैट, व पोर्नोग्राफी में ट्रेस हुआ है। इसके बाद ठगों द्वारा पचास हजार रुपए की मांग की गई। तभी अचानक डॉक्टर विनोद को अपने परिचित सीनियर आईपीएस अधिकारी की याद आई और उन्होंने अधिकारी से बात की, तब जाकर उन्हें पता चला कि वह डिजिटल अरेस्ट के शिकार हुए हैं। तकरीबन 3:30 घंटे डिजिटल अरेस्ट (Gwalior Digital Arrest) होने के बाद डॉक्टर डोनेरिया अपनी शिकायत लेकर ग्वालियर के थाटीपुर थाने पहुंचे तो वहां पुलिस कर्मियों ने उनको यह कहकर चलता करने की सोची कि यह लोग हजारों किलोमीटर दूर बैठकर अपराध करते हैं, शिकायत से कुछ नहीं होगा।
डिजिटल अरेस्ट के शिकार हुए डॉक्टर विनोद ने बताई पूरी घटना
डिजिटल अरेस्ट हुए डॉक्टर विनोद दोनेरिया ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि मैं सुबह ड्यूटी के लिए निकल गया था। लंच के लिए घर आ रहा था तभी अचानक गाड़ी में मेरे पास 8707261198 नंबर से कॉल आया। मैं जिला मलेरिया अधिकारी हूं इसलिए अलग-अलग क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अभियान कार्यालय कार्य के लिए आम लोगों से लेकर विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी फोन करते हैं। मैंने फोन उठा लिया, वॉइस कॉल था। मैंने जैसे ही फोन उठाया तो सामने वाले व्यक्ति बोला कि वह ट्राई यानी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की शाखा से बोल रहा है।
उनकी सिम बंद करने की धमकी भी दी
उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि फोन करने वाले ने उन्हें कहा कि उनकी सिम 2 घंटे में बंद हो जाएगी क्योंकि उनका नंबर संदिग्ध लेनदेन में चिन्हित हुआ है। इस पर मैंने बोला कि ऐसा तो कुछ नहीं किया। फिर उसने कहा मुंबई पुलिस के अधिकारी डॉक्टर विनोद से बात करेंगे। इसके बाद एक दूसरे नंबर से वीडियो कॉल आया, जिसमें एक इंस्पेक्टर था, पीछे मुंबई पुलिस का बोर्ड लगा था। उसने पीड़ित से कहा कि डॉक्टर का नाम नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में है। जब डॉक्टर विनोद ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि मैं तो कभी मुंबई गया ही नहीं, न ही कभी ऐसा कोई लेनदेन किया है। डॉक्टर विनोद को करीब साढ़े तीन घंटों तक डिजिटल अरेस्ट (Gwalior Digital Arrest) कर रखा गया।
आईपीएस अधिकारी से बात की तो हुआ फ्रॉड का खुलासा
डॉक्टर विनोद के ऐसा कहने पर उक्त तथाकथित इंस्पेक्टर ने बैंक स्टेटमेंट और एटीएम कार्ड की फोटो भेजी। उन्होंने डॉक्टर को ठगों के खाते में 50 हजार रूपये डालने के लिए कहा और बोला कि इसकी जांच ईडी करेगी। यदि बैंक खाते से कोई लेनदेन नरेश गोयल से नहीं हुआ तो धन वापस मिल जाएगा और यदि कनेक्शन निकलता है तो जेल जाना पड़ेगा। इस पर डॉक्टर विनोद ने कहा कि मुझे घबराहट हो रही है, तब ठगों ने उनको कहा कि आप पानी पी लो, घर के सारे दरवाजे बंद कर दो। तभी अचानक डॉक्टर विनोद को अपने मित्र आईपीएस राकेश सागर की याद आई और उन्होंने उनसे बात की। तब आईपीएस अधिकारी ने बताया कि यह सब फ्रॉड है। उनकी शिकायत पर अब पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है।
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