Ken Betwa Project: केन बेतवा परियोजना पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उठाए सवाल
Ken Betwa Project: भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना केन बेतवा परियोजना पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने बड़े सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और वन को लेकर अपनी 'कथनी' और 'करनी' में अंतर का प्रधानमंत्री आज एक और सबूत दे रहे हैं। जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी जिस केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास करने जा रहे हैं, वह मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए गंभीर ख़तरा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए अपनी बात कही।
Today the PM is giving one more evidence of the difference between his 'talk' and 'walk' on environment and forest matters.
The Ken-Betwa river linking project for which he is laying the foundation stone today poses a serious threat to the biodiversity-rich Panna Tiger Reserve…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 25, 2024
केन-बेतवा नदी परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व पर मंडराया खतरा
मौजूदा जानकारी के अनुसार केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व का 10 फीसदी से अधिक मुख्य क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा। इससे न सिर्फ बाघों के आवास बल्कि गिद्धों जैसी अन्य प्रजातियां भी नष्ट हो जाएंगी। इसकी वजह से पारिस्थितिकी तंत्र दो भागों में बंट जाएगा। इस प्रोजेक्ट (Ken Betwa Project) के लिए रिजर्व क्षेत्र में 23 लाख से ज़्यादा पेड़ काटे जाने हैं। कंस्ट्रक्शन गतिविधियों के कारण गंभीर रूप से व्यवधान उत्पन्न होगा। यहां पर अभी तीन सीमेंट कारखानों की योजना बनाई जा रही है, जिनमें से एक पार्क के निकट पहले ही चालू हो चुका है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इतनी अधिक पारिस्थितिक क्षति पहुंचाए बिना भी परियोजना (जैसे डैम को नदी के उपरी हिस्से में स्थानांतरित करना) को क्रियान्वित करने के विकल्प मौजूद हैं।
इसलिए खास है पन्ना टाइगर रिजर्व
पन्ना टाइगर रिजर्व (Ken Betwa Project) की कहानी अपने आप में अद्भुत है। वर्ष 2009 की शुरुआत तक वहां बाघों की आबादी पूरी तरह से ख़त्म हो गई थी, लेकिन उसी वर्ष शुरू किए गए सबसे सफल बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम के बदौलत, 15 साल बाद वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 90 से अधिक बाघ हैं। ये पर्यटकों के लिए आकर्षण के मुख्य केंद्र बने हुए हैं और यहां के पारिस्थितिकी तंत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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