MP BJP Politics: बीजेपी 62 में से छह जिला अध्यक्ष नहीं बना पाई, यह थी इसकी असली वजह

15 दिन बीतने के बाद भी अभी तक बीजेपी अपने पूरे 62 जिला अध्यक्ष तय नहीं कर पाई। अभी भी 6 जिला अध्यक्ष बनने बाकी हैं।
mp bjp politics  बीजेपी 62 में से छह जिला अध्यक्ष नहीं बना पाई  यह थी इसकी असली वजह

MP BJP Politics: भोपाल। मध्य प्रदेश बीजेपी में संगठन चुनावों के चलते राजनीतिक उठापटक हो रही है। अभी तक यह माना जा रहा था कि जिला अध्यक्षों के चुनाव में कोई परेशानी नहीं होगी और पहले की तरह बीजेपी अनुशासन रखते हुए चुनाव का समापन करा देगी लेकिन बीजेपी में जिलाध्यक्षों को लेकर छत्रपों की खींचतान यहां भी दिखाई दी। हालात यह हैं कि 15 दिन बीतने के बाद भी अभी तक बीजेपी अपने पूरे 62 जिला अध्यक्ष तय नहीं कर पाई। अभी भी 6 जिला अध्यक्ष बनने बाकी हैं।

इन जिलों में फंसा पेंच

इंदौर में दो जिलाध्यक्ष शहर और ग्रामीण, नरसिंहपुर जहां प्रहलाद पटेल और राव उदय प्रताप के चलते पद अटका तो वहीं निवाड़ी, टीकमगढ़ और छिंदवाड़ा में दिग्गजों के बीच खींचतान का नतीजा है कि इन जिलों में अध्यक्ष घोषित नहीं हो पाया है। टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक अपने खास को पद दिलाना चाहते हैं। टीकमगढ़ संसदीय सीट में निवाड़ी भी आती है और यहां भी वीरेंद्र खटीक का उतना की हस्तक्षेप है। इसी प्रकार चार जिलों में जिलाध्यक्षों (MP BJP Politics) को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं।

महिलाएं भी हैं दौड़ में शामिल

इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के करीबी चिंटू वर्मा रिपीट हो सकते हैं लेकिन यहां भी तुलसी सिलावट, ऊषा ठाकुर अपने चहेते को जिला अध्यक्ष बनाने में लगे हुए हैं। लिहाजा यहां भी कश्मकश जारी है, चिंटू के साथ टीनू जैन भी रेस में बताए जा रहे हैं। नरसिंहपुर में दो दिग्गज आमने सामने हैं हालांकि यहां पर महिला को कमान मिलने की संभावना है। शिरोमणि और बीना ओसवाल के नाम भी चर्चाओं में हैं और इनमें से किसी को भी जिला अध्यक्ष बनाया जा सकता है। यहां पर पुरुषों के बजाय महिला चेहरे को संगठन की कमान सौंपी जा सकती है।

छिंदवाड़ा के सांसद बंटी चाहते हैं नया चेहरा

छिंदवाड़ा सांसद इस बार अपना ही आदमी रखना चाहते हैं। कार्यकारी अध्यक्ष शेष राम यादव को बनाया गया है लेकिन बंटी किसी नए चेहरे को जिला अध्यक्ष (MP BJP Politics) बनाना चाहते हैं। आपको बता दें कि पहले पांढुरना की वैशाली महाले को जिला अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन सांसद से इनकी पटरी नहीं बैठी जिसके चलते पार्टी को इन्हें हटाना पड़ा।

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(भोपाल से सरस्वती चंद्र की रिपोर्ट)

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