Gwalior High Court: दूध में मिलावट रोकने का आदेश नहीं माना तो कोर्ट ने कलेक्टरों को दिया नोटिस

दूध में मिलावट रोकने में विफल रहने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए अंचल क़े सभी जिला कलेक्टरों और मध्यप्रदेश शासन को नोटिस भेजकर इस मामले को लेकर व्यापक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैँ।
gwalior high court  दूध में मिलावट रोकने का आदेश नहीं माना तो कोर्ट ने कलेक्टरों को दिया नोटिस

Gwalior High Court: ग्वालियर। दूध मे मिलावट रोकने को लेकर सरकार के गंभीर न होने से हाईकोर्ट नाराज है। सरकार ने कोर्ट के आदेश के बावजूद न टेस्टिंग यूनिट दी और न ही जांच मशीनें। अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए अंचल क़े सभी जिला कलेक्टरों और मध्यप्रदेश शासन को नोटिस भेजकर इस मामले को लेकर व्यापक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैँ।

हाईकोर्ट ने दिए थे दूध में मिलावट रोकने के आदेश

दरअसल दूध मे मिलावट इस अंचल की सबसे बड़ी समस्या है जो लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डाल रही है। इस मामले पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior High Court) मे चल रही जनहित याचिका में कोर्ट ने मिलावट रोकने क़े लिए आदेश देकर कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये थे और इनके पालन की रिपोर्ट भी देने को कहा था। परंतु दूध व दूध से बने उत्पादों में मिलावट रोकने को लेकर हाई कोर्ट के आदेश का पालन हो रहा है या नहीं, इसको लेकर अभी तक सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई ठोस जवाब कोर्ट मे पेश नहीं किया जा सका।

9 कलेक्टरों को नोटिस भेज मांगा जवाब

इस मामले मे गत वर्ष हाई कोर्ट (Gwalior High Court) ने मोबाइल वैन टेस्टिंग यूनिट के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मिल्क एडल्ट्रेशन टेस्टिंग मशीन खरीदने के आदेश दिए थे। अब तक कितनी मशीन खरीदी गईं, इसको लेकर भी कोई ठोस जानकारी हाई कोर्ट को नहीं दी जा सकी। इस मामले की बीते रोज हुई सुनवाई में जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने मप्र शासन सहित अंचल क़े सभी 9 जिलों के कलेक्टरों को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। रिपोर्ट में सभी को हाई कोर्ट के आदेश पर की गई कार्रवाई की जानकारी शपथ पत्र पर देनी है।

दूध मे मिलावट रोकने के लिए हाई कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश

  • हर जिले के एंट्री-एग्जिट प्वाइंट पर चेकिंग हो।
  • प्रत्येक जिले में पर्याप्त संख्या में मोबाइल वैन टेस्टिंग यूनिट और इलेक्ट्रॉनिक मिल्क एडल्ट्रेशन टेस्टिंग मशीन खरीद कर दी जाएं।
  • राज्य भर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएं, जिनमें आधुनिक मशीनें लगी हों।
  • प्रशासन द्वारा लोगों को जागरुक करने के लिए सतत जागरूकता अभियान चलाया जाए।

(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

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