Umaria Crime News: पशु चिकित्सा विभाग में उप संचालक ने किया जमकर भ्रष्टाचार, कोर्ट तक पहुंचा मामला

Umaria Crime News: उमरिया। उमरिया जिला भी अपने आप में एक मिशाल है, जहां निर्दोष को सजा मिल जाती है और दोषी पर जांच के ऊपर जांच कराई जाती है। ऐसा ही एक मामला उमरिया जिले में सामने आया है।...
umaria crime news  पशु चिकित्सा विभाग में उप संचालक ने किया जमकर भ्रष्टाचार  कोर्ट तक पहुंचा मामला

Umaria Crime News: उमरिया। उमरिया जिला भी अपने आप में एक मिशाल है, जहां निर्दोष को सजा मिल जाती है और दोषी पर जांच के ऊपर जांच कराई जाती है। ऐसा ही एक मामला उमरिया जिले में सामने आया है। जब सरकार ने अपना खजाना खोलते हुए पशु चिकित्सा विभाग को आदेश दिया। कहा गया कि जो कार्य पड़े हैं या फिर मरम्मत के लिए इंतजार कर रहे हैं, साथ ही पशुओं की दवाई खरीदी जाए।

भ्रष्टाचार में लिप्त लूट रहे मजे

सरकार ने आदेश क्या दिया उमरिया जिले के पशु चिकित्सा विभाग के भाग खुल गए। वह हुआ जो शायद अधिकारी के जेहन में काफी समय से बसा हुआ था। सरकार के खजाने पर आम जन का नहीं बल्कि मेरा हक है। पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक इतना बड़ा गबन करके अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं। ठीक ऐसा ही पशु चिकित्सा विभाग में हुआ है। यहां सरकार ने दवाई खरीदी के आदेश दिए तो उप संचालक ने ऐसी खरीदी कर डाली जिसका कोई हिसाब नहीं है। और न ही कोई दस्तावेज उपलब्ध है। विभाग बिना मरम्मत कराए करीब 15 लाख रूपए आहरित कर लिए।

सीईओ की निगरानी में हुई जांच

पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डा. के के पाण्डेय द्वारा किए गए गबन की शिकायत इंटरनेशनल इन्वायरमेंटल एण्ड एनिमल सुरक्षा संघ के चेयरमैन अंकित जैन ने कलेक्टर से लिखित शिकायत करते हुए की। साथ ही जांच कराने की मांग की थी, जिस पर कलेक्टर ने सीईओ जिला पंचायत को जांच सौपी। इसके बाद सीईओ जिला पंचायत ने सहायक परियोजना अधिकारी ए के भारद्वाज, परियोजना अधिकारी मनरेगा ओपी श्रीवास और लेखापाल आर पी सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए अविलंब जांच रिपोर्ट मांगी। जिस पर जांच भी की गई जिसमें तमाम आरोप सिद्ध पाए गए।

सरकारी राशि का हुआ भंटाभार

सीईओ जिला पंचायत ने अपना प्रतिवेदन दिया है कि पशुओं की दवाईयों की खरीदी के लिए रूपए 16 लाख एवं विभाग द्वारा अनुपूरक बजट से रुपए 12.00 लाख का आवंटन के विरुद्ध दवाइयों की क्रय एवं स्वीकृति प्रक्रिया के दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए गए। इससे सिद्ध होता है कि उक्त राशि का दुरुपयोग प्रभारी उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं उमरिया द्वारा किया गया है।

लाखों रुपए के गबन के दोष तो डा. केके पाण्डेय पर लग ही चुके हैं। एक बार जांच से संतुष्ट नहीं हुए तो दोबारा जांच कराई गई। इसमें भी उपसंचालक दोषी पाए गए। सीईओ के प्रतिवेदन के बाद कलेक्टर महोदय ने दोबारा जांच करने का आदेश पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री गायकवाड़ को सौंपी। जिस पर जांच भी हो चुकी है मगर कार्रवाई का इंतजार अभी भी है। इसी मामले में हाईकोर्ट में एक पिटीशन दायर होने के बाद उमरिया कलेक्टर और उपसंचालक पशु चिकित्सक को 14 फरवरी को हाई कोर्ट में हाजिर होना है।

(उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट)

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