Gwalior Sas Bahu Temple: सास बहू मंदिर से जुड़ी है यह रोचक कथा, यहां की हर प्रतिमा है अपने आप में खास
Gwalior Sas Bahu Temple: ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर शहर अपने गौरवशाली इतिहास और वास्तुकला के जीवंत चमत्कारों से भरा पड़ा है। जिले में स्थित सास बहू का मंदिर भी ऐसा ही एक उदाहरण है जो न केवल वास्तु कला की भव्यता को दिखाता है वरन प्राचीन लोक गाथाओं को भी एक रोचक अंदाज में कहने का जरिया है। अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला, सुंदर डिजाइन और मंदिर निर्माण से जुड़ी आकर्षक कहानी के चलते यह मंदिर दूर-दूर से आने वाले सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
दो मंदिरों से मिलकर बना है सास बहू का मंदिर
वैसे तो इस मंदिर से जुड़ी अनेकों रोचक कथाएं हैं जो उसके रहस्य और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ा देती है। यह मंदिर वास्तव में दो मंदिरों से मिलकर बना है जिसमें बड़े मंदिर को सास मंदिर तथा छोटे मंदिर को बहू मंदिर के नाम से जाना जाता है। दोनों मंदिरों के निर्माण के पीछे की कथा बहुत ही रोचक है।
भगवान विष्णु को समर्पित है यह मंदिर
इतिहासकारों के अनुसार सास बहू का मंदिर (Gwalior Sas Bahu Temple) मूल रूप से शस्त्रबाहू मंदिर के नाम से जाना जाता है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल ने करवाया था। एक अन्य लोकप्रिय कहानी यह भी बताती है कि मंदिर का निर्माण राजा कीर्तन सिंह ने अपनी माता और पत्नी के सम्मान में करवाया था।
मंदिर के खंभों पर उकेरी गई है रामायण, महाभारत की कथाएं
ग्वालियर के प्राचीन सास बहू मंदिर (Gwalior Sas Bahu Temple) की दीवारें और खंभे हिंदू पौराणिक कथाओं के दर्शन को दर्शाती आकर्षक मूर्तियों से सुसज्जित है। दिवारों एवं खंभों पर रामायण, महाभारत और कई अन्य प्राचीन कथाओं की कहानियों को दर्शाने वाली प्रतिमाएं गढ़ी गई हैं। अत्यन्त उत्कृष्ट शिल्प कौशल से निर्मित और कलात्मक शिल्पकारी देखते ही मन मोह लेते हैं। इस मंदिर में रखी हर एक प्रतिमा सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कुल मिलाकर यह मंदिर एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।
(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)
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