MP में नई बायोफ्यूल नीति, Global Investors Summit के पहले एक और पॉलिसी लाएगी सरकार
MP New Biofuel Policy भोपाल: 24 और 25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले प्रदेश की मोहन सरकार (MP Government Big Decision) इथेनॉल और जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने नई बायोफ्यूल नीति ला रही है। बायोडीजल का निर्माण करने का प्रावधान भी करने जा रही है । खेतों में फसलों के अवशेष और जंगलों के कचरे, किचन वेस्ट का उपयोग करके ये निर्माण किए जाएंगे।
MP में नई बायोफ्यूल नीति
मध्य प्रदेश की महन सरकार किसानों को नरवाई से भी पैसे कमाने के अवसर देने जा रही है। नई बायोफ्यूल नीति में औद्योगिक उद्देश्य के लिए बिजली, हीटिंग, कूलिंग और भाप और ऊर्जा के अन्य स्रोत जिनमें सिनगैस से उत्पादित जैव ईंधन, शैवाल आधारित श्रीजी जैव ईंधन, हेलोफाइट्स आधारित जैव ईंधन, जैव मेथनॉल, बायो मेथनॉल से प्राप्त डाई मिथाइल ईथर (MP New Biofuel Policy) शामिल है, जो बायोमास से उत्पादित है। इसका प्रावधान किया जाएगा।
बायोफ्यूल बनाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करने पर जोर
अभी तक जंगलों में सूखे पत्ते और टहनियों को हटाने के बाद जला दिया जाता था। अब इसका उपयोग भी बॉयोफ्यूल में होगा। नई नीति में बायोफ्यूल बनाने के लिए प्लांट लगाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। वहीं, जंगलों से सूखी पत्तियों और टहनियों को हटाने में लगी वन समितियों और किसानों को खेतों से फसल अवशेष हटाने के लिए सरकार आर्थिक रूप से मदद देगी।
नई नीति के तहत ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार
नई नीति में कृषि उप उत्पादों के लिए वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराकर ग्रामीण रोजगार पैदा किए जाएंगे और किसानों की आय बढ़ाई जाएगी। मध्य प्रदेश में जैव ईंधन उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। जैव ईंधन के उत्पादन के लिए कृषि अवशेष और गैर खाद्य बायोमास के लगातार उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जाएगी और शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए योगदान दिया जाएगा। राज्य में जैव रिफाइनरी क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। बायोमास और अपशिष्ट संग्रह, भंडारण, परिवहन के लिए ढांचा तैयार किया
ऐसे बनेगा बायोडीजल
नई नीति में बायोडीजल तैयार करने के लिए गैर खाद्य वनस्पति तेलों, अम्लीय तेल, प्रयुक्त हो चुके खाना पकाने के तेल और पशु वसा और जैव तेल से उत्पादित फैटी एसिड का मिथाइल या एथिल एस्टर ई बायोमास होगा। खेतों में फसलों के अवशेष नरवाई, नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट, खाना पकाने के तेल, प्रयुक्त मोबिल ऑयल, प्लास्टिक अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट का उपयोग कर तरल ईंधन जो एमएस, एचएसडी और जेट ईंधन के लिए भारतीय मानकों को पूरा करेंगे। वाहनों में इस ईंधन का उपयोग बिना किसी बदलाव के किया जा सकेगा। मौजूदा पेट्रोलियम वितरण प्रणाली में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा।
(भोपाल से सरस्वती चंद्र की रिपोर्ट)
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