Global Investors Summit: ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से ग्वालियर की यादें लेकर विदा होंगे बिजनेस टायकून
Global Investors Summit: भोपाल। शहर में आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आने वाले 70 बड़े देशी-विदेशी मेहमानों को MP सरकार की तरफ से नायाब तोहफा दिया जाएगा। जी हां अंबानी, अडानी, बिड़ला सहित देश-विदेश के मेहमानों को सरकार की तरफ से इंडियन मोनालिसा कहीं जाने वाली "शाल-भंजिका" की पत्थर की प्रतिकृति भेंट की जाएगी। इन मूर्तियों को आकार देने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा की अपनी 15 सदस्यीय टीम के साथ 7 दिन से 24 घंटे काम करके 70 प्रतिमाओं के निर्माण में जुटे हैं।
मेहमानों को दिया जाएगा खास तोहफा
राजधानी भोपाल में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) आयोजित होने जा रहा है। GIS में आने वाले मेहमानों को विदाई के तौर पर यादगार तोहफा भी दिया जाएगा। PM मोदी की मौजूदगी में सभी मेहमानों को इंडियन मोनालिसा कही जाने वाली "शाल-भंजिका" पत्थर की प्रतिकृति भेंट की जाएगी। ग्वालियर के मोती महल परिसर स्थित रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट डिजाइन सेंटर में "शाल-भंजिका" का निर्माण किया जा रहा है। प्रतिमा को आकार देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा अपने 15 सहयोगियों के साथ लगातार 24 घंटे काम कर रहें हैं। "ग्वालियर के मिंट स्टोन" से 7 इंच लंबी 70 प्रतिकृति बनाई जा रही हैं।
खास बात यह है कि ग्वालियर के "मिंट स्टोन" की लाइफ लाइन 1000 से ज्यादा साल रहती है। अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा का कहना है कि "शाल-भंजिका" की प्रतिकृति को बनाने में उसकी मुस्कान का खास ध्यान रखा जा रहा है। इसकी मुस्कान पर खास तौर (Global Investors Summit) पर बारीकी से काम हो रहा है। उनके लिए भी ये गौरव की बात है कि देसी-विदेशी मेहमानों को ग्वालियर में बनी "शाल भंजिका" उन्हें भेंट की जाएगी। इससे दुनियाभर में इंडियन मोनालिसा ("शाल भंजिका") का प्रचार-प्रसार होगा।
जानिए कौन है "शाल-भंजिका"
आपको बता दें कि "शाल-भंजिका" की प्रतिमा ग्वालियर के राजा मानसिंह पैलेस फोर्ट (किले)की गुजरी महल संग्रहालय में रखी हुई है। ये एक ऐसी महिला की प्रतिमा है जो अपने शारीरिक सौंदर्य और मुस्कान की वजह से देश-विदेश में सराही जा चुकी है। "शाल-भंजिका" की मूर्ति मध्य प्रदेश के विदिशा के पास ग्यारसपुर गांव में खुदाई के दौरान मिली थी। पत्थर की मूर्ति होने पर भी उसके चेहरे पर मुस्कान को साफ देखा जा सकता है।
चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान के कारण इसे "इंडियन मोनालिसा" भी कहा जाता है। ये प्रतिमा 10वीं शताब्दी की प्रतिमा है। पहले इस प्रतिमा को देश-विदेश में प्रदर्शनियों में भेजा जाता था। लेकिन सुरक्षा कारणों से इस मूर्ति को पिछले 15 साल से विदेश भेजना बंद कर दिया गया। इस प्रतिमा को कई देशों में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में प्रदर्शित भी किया जा चुका है।
(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)
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