Kundaliya Dam MP: हजारों करोड़ की लागत से बना बांध फिर भी पानी को तरस रहे ग्रामीण
Kundaliya Dam MP: आगर मालवा। गर्मी शुरू होते ही आगर मालवा जिले के कई गांवों में पानी की मांग उठने लगी है। खासकर सालरी, मोयाखेड़ा सहित आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। जबकि क्षेत्र में कुंडालिया और बापचा जैसे बड़े डेम मौजूद हैं, लेकिन फिर भी ये गांव पानी के लिए तरस रहे हैं।
पानी की आपूर्ति नहीं होने पर किसानों ने दी आंदोलन की धमकी
आगर मालवा जिले के ये वे गांव हैं, जहां गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत बढ़ जाती है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि कुंडालिया डेम की नहरें उनके गांव के पास से गुजरती हैं, लेकिन उन्हें पानी का लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग कि है कि उनके ग्रामो को भी इस योजना से जोड़ा जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
#AgarMalwa : गर्मी शुरू होते ही कई गांवों में पानी के लिए हाहाकार, ग्रामीणों ने सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी
आगर मालवा जिले के के कई गांवों में पानी की किल्लत बढ़ने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि कुंडालिया डैम की नहरें उनके गांव के पास से गुजरती हैं, लेकिन उन्हें पानी का लाभ… pic.twitter.com/P7GO2GqBux
— MP First (@MPfirstofficial) March 16, 2025
कुंडालिया बांध से होगी 1000 से अधिक गांवों को पानी की आपूर्ति
आपको बता दें कि किसानों को पानी कि किल्लत से बचाने के लिए कालीसिंध नदी पर स्थित, जिला राजगढ़ और आगर मालवा की सीमा पर कुंडालिया डेम (Kundaliya Dam MP) बनाया गया है। इस बांध की कुल स्वीकृत लागत 3448 करोड़ रुपए आंकी गई है तथा इसकी सिंचाई क्षमता कुल 1,39,000 हेक्टेयर भूमि (राजगढ़ और आगर मालवा जिलों में) आंकी गई है तथा इससे 1030 से अधिक गांवों को घरेलू उपयोग के लिए जलापूर्ति की जाएगी।
बांध से जुड़ी प्रमुख जानकारी
कुंडालिया डेम की कुल लंबाई 3,100 मीटर तथा गहाई 44.50 मीटर (नदी के सबसे निचले स्तर से) आंकी गई है। इसमें कंक्रीट डेम 345 मीटर तथा मिट्टी का डेम 2755 मीटर है। इसकी जलाशय क्षमता 582.75 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) है। गौरतलब है कि कुंडालिया डेम (Kundaliya Dam MP) की नहरों का अंडरग्राउंड कार्य अभी प्रगति पर है। लेकिन जिले के कई ग्रामों को इन नहरों से जोड़ने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। ऐसे में जब तक ये गांव इस योजना से नहीं जुड़ते, तब तक ग्रामीणों की परेशानी बनी रहेगी। चौंकाने वाली बात यही है कि कैसे हजारों करोड़ की लागत से बने बांध के बावजूद ये गांव अभी भी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन कब तक इन ग्रामीणों की मांग पूरी करता है।
(आगर मालवा से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)
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