Amalaki Ekadashi 2025: इस दिन है आमलकी एकादशी, जानिए इसका महत्त्व और पूजन विधि
Amalaki Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी एक अत्यंत पूजनीय दिन है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है। इस साल आमलकी 10 मार्च , सोमवार को है। एकादशी व्रत (Amalaki Ekadashi 2025) आध्यात्मिक विकास, स्वास्थ्य और समृद्धि चाहने वाले भक्तों द्वारा आमलकी एकादशी बड़ी भक्ति के साथ मनाई जाएगी। यह दिन आंवले के पेड़ की पूजा से जुड़ा है, जिसे पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है।
आमलकी एकादशी की तिथि और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 09 मार्च सुबह 07:45 मिनट पर शुरू होकर और सोमवार 10 मार्च सुबह 07:44 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में 10 मार्च, सोमवार के दिन आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। साथ ही इस व्रत (Amalaki Ekadashi 2025) का पारण मंगलवार 11 मार्च के दिन सुबह 06: 35 मिनट से सुबह 08:13 मिनट के बीच किया जाएगा।
आमलकी एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद: माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद होता है, जो आंवले के पेड़ में निवास करते हैं, जिससे यह पवित्र और पूजा के योग्य हो जाता है। आंवला फल अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, और माना जाता है कि इस दिन इसका (Amalaki Ekadashi 2025 date) सेवन शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। इस एकादशी पर व्रत रखने से पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तों का मानना है कि इस दिन ईमानदारी से पूजा करने से पिछले दुष्कर्म और नकारात्मक कर्म शुद्ध हो जाते हैं। आमलकी एकादशी का पालन करने से भगवान विष्णु के प्रति भक्ति बढ़ती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
आमलकी एकादशी के पीछे की पौराणिक कथा
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रसेन नाम के राजा और उनकी प्रजा ने आमलकी एकादशी का व्रत भक्तिपूर्वक किया था। उनकी आस्था और अटूट प्रतिबद्धता के कारण, उन्हें भगवान विष्णु से दिव्य संरक्षण प्राप्त हुआ। कहानी इस बात पर जोर देती है कि इस दिन उपवास और पूजा करने से अपार आशीर्वाद मिलता है, बुरी ताकतों से रक्षा होती है और समृद्ध जीवन सुनिश्चित होता है।
आमलकी एकादशी की पूजा विधि
आमलकी एकादशी का पालन करने में उपवास, जप और भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ (Amalaki Ekadashi importance)की पूजा करना शामिल है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। भगवान विष्णु की पूजा करें और ईमानदारी से व्रत करने का संकल्प लें। पास के किसी आँवले के पेड़ के पास जाएं या यदि उपलब्ध न हो तो घर के किसी पवित्र स्थान पर आँवला का एक फल रखें। पेड़ पर जल, फूल, चंदन का लेप और कुमकुम चढ़ाएं। घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। विष्णु सहस्रनाम, आमलकी एकादशी व्रत कथा और संबंधित मंत्रों का पाठ करें।
भक्त केवल पानी या फल खाकर सख्त उपवास रखते हैं। कुछ लोग साधारण शाकाहारी भोजन के साथ आंशिक उपवास का पालन करते हैं। व्रत द्वादशी (अगली सुबह) तक जारी रहता है, जब इसे तुलसी के पानी और प्रसाद के साथ तोड़ा जाता है। ब्राह्मणों, संतों या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दान दें। इस दिन गाय, पक्षियों और अन्य जानवरों को खाना खिलाना शुभ माना जाता है। कई भक्त रात में जागते हैं, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी (Amalaki Ekadashi pujan vidhi) को समर्पित भजन और भक्ति गीत गाते हैं। भगवद गीता पढ़ने और आध्यात्मिक प्रवचन सुनने की सलाह दी जाती है।
आमलकी एकादशी के व्रत के लाभ
माना जाता है कि आंवले की पूजा और सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता और पाचन में सुधार होता है। मन और आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है, जिससे आंतरिक शांति मिलती है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से धन और स्थिरता आती है। पिछले कर्म ऋणों को साफ़ करता है और दैवीय सुरक्षा प्रदान करता है। खुशी, सद्भाव और प्रियजनों की भलाई सुनिश्चित करता है।
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