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Apara Ekadashi 2024: जून महीने में इस दिन मनाई जाएगी विष्णु भगवान को समर्पित अपरा एकादशी, जानें इस व्रत का महत्व

Apara Ekadashi 2024: हिंदू माह ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाने वाली अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। ऐसा माना जाता है कि श्रद्धा के साथ मनाई जाने वाली इस एकादशी...
11:04 AM May 31, 2024 IST | Preeti Mishra
(Image Credit: Social Media)

Apara Ekadashi 2024: हिंदू माह ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाने वाली अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। ऐसा माना जाता है कि श्रद्धा के साथ मनाई जाने वाली इस एकादशी का पालन करने से भक्तों को उनके पापों से मुक्ति मिलती है। इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत मोक्ष पाने और आध्यात्मिक प्रगति चाहने वालों के लिए विशेष महत्व रखती है।

कब है अपरा एकादशी

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) रविवार, 2 जून 2024 को मनाई जाएगी। वहीं, वैष्णव लोग अपरा एकादशी सोमवार, जून 3, 2024 को मनाएंगे। सामान्य लोग 3 जून को पारण करेंगे। व्रत तोड़ने का समय सुबह 08:05 से 08:39 बजे तक है। वैष्णव संप्रदाय के लिए पारण का समय 4 जून को सुबह 06:00 से 08:39 बजे तक है।

एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 02, 2024 को 05:04 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - जून 03, 2024 को 06:41 बजे

अपरा एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी सबसे पवित्र दिनों में से एक है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु (Apara Ekadashi 2024) की पूजा के लिए समर्पित है। भक्त इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। जून माह में अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी आने वाली है जो सबसे शुभ एकादशियां मानी जातीं हैं।

भगवान विष्णु इस ब्रह्मांड के संरक्षक हैं। जो लोग पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ उनकी पूजा करते हैं, उन्हें पिछले जन्म में किए सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिल जाता है। यही कारण है कि भक्त इस व्रत को पूरे मन से करते हैं। इस दिन लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। साथ ही सभी प्रकार के बुरे या तामसिक कार्यों से दूर रहते हैं।

अपरा एकादशी पूजा विधि

- पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
- घर और विशेष रूप से पूजा कक्ष को साफ करें।
- एक लकड़ी का तख्ता लें और उस पर श्री यंत्र के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति रखें।
- मूर्ति को स्नान कराकर पुनः उसी स्थान पर स्थापित करें।
- मूर्ति के सामने देसी घी का दीया जलाएं।
- पवित्रता के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
- मूर्ति पर तुलसी पत्र, फल और पंचामृत चढ़ाएं।
- कृष्ण महामंत्र का 108 बार जाप करें।
- शाम के समय फिर से भगवान की पूजा करनी चाहिए, विशेष एकादशी की कथा का पाठ करना चाहिए और भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की आरती का जाप करना चाहिए।
- एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी पत्र न तोड़ें।
- व्रत अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को पारण समय के दौरान तोड़ा जाएगा।

अपरा एकादशी का मंत्र

- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय..!!
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे!!
- अच्युतम केशवम् कृष्ण दामोदरम राम नारायणम् जानकी वल्लभम्..!!

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