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Baijnath Temple MP: युद्ध में अंग्रेज पति की रक्षा की थी भगवान शिव ने, पत्नी ने बनवा दिया मंदिर

अपनी पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन ने सन् 1883 में बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी आगर-मालवा के इस मंदिर में लगा है। पूरे भारत भर में अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह एक मात्र हिन्दू मंदिर है।
02:02 PM Feb 15, 2025 IST | Sunil Sharma

Baijnath Temple MP: आगर मालवा। भारत मंदिरों का देश है, यहां हर मंदिर के साथ कोई न कोई रोचक कथा या किंवदंती जुड़ी हुई है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में स्थित बैजनाथ महादेव मंदिर भी ऐसा ही एक चमत्कारिक मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी कई गाथाएं प्रचलित हैं। बैजनाथ महादेव का यह मंदिर मनोहर पहाड़ियों ओर प्राकृतिक संपदा के बीचोबीच स्थित है। इस मंदिर से जुड़ा हुआ एक ऐसा दावा है कि जिसमें कहा गया है कि भगवान स्वयं अपने वकील भक्त का रुप धरकर कोर्ट में पहुंचे ओर जिरह करके अपने भक्त को केस जीता दिया। इसका जीर्णोद्धार एक अंग्रेज कर्नल ने करवाया था। इस प्रसिद्ध मंदिर में बड़ी संख्या में दर्शनार्थी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अब महाशिवरात्रि पर्व भी शुरू होने वाला है। ऐसे में मंदिर में भगवान बाबा बैजनाथ के दर्शन करने के लिए दूर दराज से भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।

अंग्रेज पत्नी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने बताया था लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को

बैजनाथ महादेव मंदिर से कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। इतिहास में दर्ज इन्हीं घटनाओं में कई घटनाएं यहां के लोग बताते हैं। ऐसी ही एक घटना अंग्रेजों से जुड़ी हुई है। सन 1879 में जब भारत में ब्रिटिश शासन था, उन्हीं दिनों अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध का संचालन आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था। कर्नल मार्टिन समय- समय पर युद्ध क्षेत्र से अपनी पत्नी को कुशलता के समाचार भेजते रहते थे।युद्ध लम्बा चला और संदेश आना बंद हो गये। तब उसकी पत्नी लेडी मार्टिन को चिन्ता सताने लगी कि कहीं कुछ अनर्थ न हो गया हो, अफगानी सैनिकों ने मेरे पति को न मार डाला हो।

पति को बचाने के लिए करवाया था लघुरुद्री अनुष्ठान

चिन्तातुर लेडी मार्टिन एक दिन घोड़े पर बैठकर घूमने जा रही थी। मार्ग में किसी मंदिर (Baijnath Temple MP) से आती हुई शंख व मंत्रध्वनि ने उसे आकर्षित किया और वह मंदिर में पहुंच गई। बैजनाथ महादेव के इस मंदिर में शिवपूजन कर रहे पंडितों ने उनसे पूछा कि क्या बात है, तो उसने मन की बात कह दी। इस पर पूजा कर भगवान भोलेनाथ से कामना करने का पंडितों ने कहा, पंडितों की सलाह पर उसने वहां ग्यारह दिन का ॐ नम: शिवाय मंत्र से लघुरूद्री अनुष्ठान आरम्भ किया तथा प्रतिदिन भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिये प्रार्थना करने लगी कि हे भगवान शिव, यदि मेरे पति युद्ध से सकुशल लौट आयें तो मैं बैजनाथ महादेव का शिखर बंद मंदिर बनवाऊंगी।

पूर्णाहुति के दिन मिली खुशखबरी

लघुरूद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर में आया और लेडी मार्टिन को एक लिफाफा दिया। उसने घबराते- घबराते लिफाफा खोला और पढऩे लगी। पत्र उसके पति ने लिखा था कि हम युद्धरत थे और तुम तक संदेश भी भेजते रहे, लेकिन अचानक हमें चारों ओर से पठानी सेना ने घेर लिया था। ब्रिटिश सेना कट मरती और मैं भी मारा जाता। ऐसी विकट परिस्थिति में हम घिर गये थे कि प्राण बचाकर भागना भी अत्यधिक कठिन था। इतने में सहसा मैंने देखा कि युद्ध भूमि में भारत के कोई एक योगी, जिनकी बड़ी लम्बी जटाएं हैं, हाथ में तीन नोंक वाला एक हथियार (त्रिशूल) है। वे बड़े तेजस्वी और बलवान पुरूष अपना त्रिशूल घुमा रहे हैं। उनका त्रिशूल इतनी तीव्र गति से घूम रहा था कि पठान सैनिक उन्हें देखकर ही भागने लगे।

कर्नल मार्टिन को दिया था अपना परिचय

उनकी कृपा से घेरे से निकलकर पठानों पर वार करने का हमें मौका मिल गया और हमारी हार की घड़ियां एकाएक जीत में बदल गई। यह सब भारत के उन बाघचर्मधारी एवं त्रिशूलधारी योगी के कारण ही संभव हुआ। उनके महातेजस्वी व्यक्तित्व के प्रभाव से देखते ही देखते अफगानिस्तान की पठानी सेना भाग खड़ी हुई और वे परम योगी मुझे हिम्मत देते हुए कहने लगे, "घबराओ नहीं, मैं भगवान शिव हूं तथा तुम्हारी पत्नी की शिवपूजा से प्रसन्न होकर मैं तुम्हारी रक्षा करने आया हूं।" युद्ध से लौटकर मार्टिन दंपति नियमित रूप से बैजनाथ महादेव मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करने लगे।

अंग्रेज दंपति ने करवाया मंदिर का जीर्णोद्धार

अपनी पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन ने सन् 1883 में बैजनाथ महादेव मंदिर (Baijnath Temple MP) का जीर्णोद्धार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी आगर-मालवा के इस मंदिर में लगा है। पूरे भारत भर में अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह एक मात्र हिन्दू मंदिर है। इसी तरह कई प्राचीन चमत्कारिक घटनाएं आज भी भक्तों को बरबस ही मंदिर की ओर खिंच लेती हैं।

अपने भक्त के लिए कोर्ट में जाकर की बहस, और केस जिताया

बाबा बैजनाथ के अनन्य भक्त रहे आगर निवासी स्व. जयनारायण बापजी वकील सा. की एक प्रचलित कथा के अनुसार वकील जयनारायण बापजी आगर कोर्ट में वकालात करते थे। वे नियमित रूप से महादेव दर्शन के लिए इसी बैजनाथ मंदिर में जाते थे और ध्यान लगाते थे। ऐसे ही एक बार वे महादेव के ध्यान में इतने मग्न हो गए कि अपने पक्षकार की पैरवी के लिए न्यायालय में समय पर नहीं पहुंच पाए, लेकिन जब ध्यान भंग होने के पश्चात् न्यायालय पहुंचे तो वहां पर उन्हें मालूम हुआ कि वे अपने पक्षकार की पैरवी कर चुके हैं और केस जीत चुके हैं। यही वजह है कि यहां पर लोगों की अटूट आस्था और विश्वास बना हुआ है।

रोज भोलेनाथ (Baijnath Temple MP) के दरबार में भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। लोग अपने कष्ट लेकर आते हैं और मुंह मांगी मुराद पाते हैं। महाशिवरात्रि के अलावा यहां चैत्र एवं कार्तिक माह में भी भव्य शिव मेला आयोजित होता है। मेलों के दौरान दूर-दराज से श्रद्धालु चमत्कारिक श्री बैजनाथ महादेव के दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं।

(आगर मालवा से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)

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