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Data Bandi Chhod Gurudwara: ग्वालियर के इस गुरुद्वारे से जुड़ी है सिखों की दीपावली की कहानी

ग्वालियर के विश्व प्रसिद्ध किले में एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा मौजूद है जिसका नाम 'दाता बंदी छोड़' है। इस गुरुद्वारे के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
05:16 PM Oct 31, 2024 IST | Suyash Sharma

Data Bandi Chhod Gurudwara: ग्वालियर। पूरे भारत में दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। सिर्फ हिंदू ही नहीं, यह पर्व सभी धर्मों के लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसके पीछे उनकी अपनी-अपनी वजहें और मान्यताएं हैं। आज हम आपको सिख धर्म की विशेष दीपावली के बारे में बताने जा रहे हैं। सिखों की दीपावली का ग्वालियर से भी एक विशेष नाता है। जानिए सिखों की दीपावली शुरू होने के पीछे की कहानी क्या है?

यह है दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारे की कहानी

ग्वालियर के विश्व प्रसिद्ध किले में एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा मौजूद है जिसका नाम 'दाता बंदी छोड़' है। इस गुरुद्वारे के पीछे की कहानी (Data Bandi Chhod Gurudwara) बड़ी दिलचस्प है। यहीं से सिख समाज में दीपावली मनाने की शुरुआत हुई। बताया जाता है कि एक बार सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मुगल शासक जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु हरगोविंद साहिब को बंदी बनाकर ग्वालियर के किले में कैद कर दिया था, लेकिन किले में पहले से ही 52 हिंदू राजा कैद थे।

पीर के कहने पर जहांगीर ने छोड़ा हरगोविंद साहिब जी को

गुरु हरगोविंदजी जब जेल में पहुंचे तो सभी राजाओं ने उनका स्वागत किया। जहांगीर ने गुरु हरगोविंद को 2 साल 3 महीने तक जेल से बाहर नहीं आने दिया। उसके बाद जहांगीर की तबीयत खराब होने लगी। इस पर किसी पीर ने बताया कि ग्वालियर किले पर नजरबंद गुरु हरगोविंद साहिब को मुक्त कर दो तभी वो ठीक हो सकते हैं। इसी के बाद गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा करने के लिए जहांगीर तैयार हुआ था।

हिंदू राजाओं को मुक्त करने के लिए रखी शर्त

जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा करने का फैसला लिया और कहा कि आपको यहां से मुक्त किया जाता है। इस पर गुरु हरगोविंद साहिब ने अकेले रिहा होने से मना कर दिया। गुरु हरगोविद साहिब से जब जहांगीर ने इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि मैं यहां पर कैद 52 हिंदू राजाओं को अपने साथ लेकर जाऊंगा। इसके बाद गुरु हरगोविंद साहिब की शर्त को स्वीकार करते हुए जहांगीर ने भी एक शर्त रखी। जहांगीर ने कहा कि कैद में गुरु जी के साथ सिर्फ वही राजा बाहर जा सकेंगे, जो गुरुजी का कोई कपड़ा पकड़े होंगे। इसके बाद गुरु हरगोविंद साहिब ने जहांगीर की शर्त को स्वीकार कर लिया।

ऐसे जहांगीर की चालाकी पड़ी उसी को भारी

जहांगीर की चालाकी को देखते हुए गुरु हरगोविंद साहिब ने एक 52 कलियों का कुर्ता सिलवाया। इस तरह एक-एक कली को पकड़ते हुए सभी 52 हिंदू राजा जहांगीर की कैद से आजाद हो गए। जेल में कैद 52 हिंदू राजाओं को ग्वालियर के इसी किले से एक साथ छोड़ा गया था इसलिए यहां बने इस गुरुद्वारे का नाम 'दाता बंदी छोड़' (Data Bandi Chhod Gurudwara) प्रसिद्ध हो गया। यहां लाखों की तादात में सिख धर्म के अनुयाई अरदास करने आते हैं। यह पूरे विश्व में सिख समाज का छठवां सबसे बड़ा तीर्थ स्थल भी है।

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