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Mandre Ki Mata Temple: सिंधिया राजघराने की कुलदेवी हैं ‘मांढरे की माता’, इनके दर्शन मात्र से मिलती है अद्भुत शांति

Mandre Ki Mata Temple: ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के बीचोंबीच पहाड़ी पर लगभग 150 साल पुराना मांढरे की माता का मंदिर भक्तों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है...
03:54 PM Oct 07, 2024 IST | Suyash Sharma

Mandre Ki Mata Temple: ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के बीचोंबीच पहाड़ी पर लगभग 150 साल पुराना मांढरे की माता का मंदिर भक्तों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां विराजमान मांढरे की माता सिंधिया राजघराने की कुलदेवी हैं। सिंधिया राजपरिवार के मुखिया कहीं भी रहें, लेकिन हर साल मां के दरबार में हाजिरी जरूर लगानी पड़ती है। सिंधिया राजपरिवार में जब भी कोई नया शुभ कार्य आरंभ होता है तो राजघराने के सदस्य मंदिर पर माथा टेकने के लिए जरूर पहुंचते हैं। जानिए इस ऐतिहासिक मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में

महाराष्ट्र से देवी को साथ लेकर आए थे सिंधिया राजघराने के पूर्वज

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार लगभग 150 वर्ष पहले महाराष्ट्र के सतारा में मांढरे की माता (Mandre Ki Mata Temple) का एक मंदिर था। इस मंदिर की पूजा आनंदराव मांढरे करते थे। उस वक्त ग्वालियर के महाराज जयाजीराव सिंधिया वहां से आनंद राव मांढरे को अपने साथ महल में लेकर आए और उन्हें सेना की जिम्मेदारी सौंप दी। कुछ दिन तक आनंद राव मांढरे ग्वालियर में रहे, लेकिन कुछ दिन बाद आनंद राव को माता ने सपने में दर्शन दिए और आने वाले खतरे के प्रति आगाह करने लगी।

सपने में देवी ने आदेश, महाराजा ने 13 बीघा में बना दिया मंदिर

आनंद राव को लगातार यह सपना आने लगा। बाद में एक बार माता ने आनंदराव मांढरे को सपने में कहा कि या तो तू मेरे पास आ जा या फिर मुझे अपने पास ले चल। उसके बाद आनंद राव ने यह बात महाराज को बताई और महाराज महाराष्ट्र जाकर माता की प्रतिमा को ग्वालियर लेकर आए और उसके बाद यहां पर स्थापित किया। तभी से इस मंदिर का नाम भी मांढरे वाली माता मंदिर हो गया। मांढरे की माता का मंदिर 13 बीघा बना हुआ है और यह पूरी जमीन रियासत काल में सिंधिया राजवंश ने प्रदान की थी।

सिंधिया परिवार के महल के ठीक सामने है मांढरे की माता का मंदिर

ग्वालियर शहर के बीचोंबीच ऊंची पहाड़ी पर सिंधिया परिवार के महल के ठीक सामने मांढरे की माता का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि विजय विलास पैलेस से एक बड़ी दूरबीन के माध्यम से सिंधिया परिवार रोज माता के दर्शन किया करता था। सिंधिया राजपरिवार की कुलदेवी होने के कारण यह राजवंश परिवार जब भी कोई शुभ कार्य करता है तो मां के दर्शन करने के लिए जरूर पहुंचता है। इसके साथ ही दशहरे के दिन माता की विशेष पूजा अर्चना भी सिंधिया राजपरिवार के द्वारा की जाती है। सिंधिया परिवार के मुखिया राजकीय पोशाक के साथ यहां पर मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। दशहरे के मौके पर सिंधिया परिवार राजवंश का पूरा परिवार मां के दर्शन करने के लिए पहुंचता है।

सिंधिया परिवार पर आने वाले संकट की देती है चेतावनी

बताया यह भी जाता है कि सिंधिया परिवार पर मांढरे की माता (Mandre Ki Mata Temple Gwalior) की विशेष कृपा है। यही वजह है कि जब भी सिंधिया परिवार पर संकट आया है तब मां ने सपने में उनको आगाह किया है। ऐसी कई घटनाएं सिंधिया परिवार में घट चुकी हैं। सिंधिया परिवार के तत्कालीन राजा जीवाजीराव सिंधिया पर मां की विशेष कृपा थी। इसी कारण सिंधिया राजपरिवार मां पर अटूट श्रद्धा रखता है। इसके साथ ही नवरात्रि के दिन यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं और 9 दिनों तक यहां पर विशाल मेला भी लगता है।

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