Holika Dahan 2025: होलिका दहन आज, रहेगा भद्रा का साया, जानें शुभ समय
Holika Dahan 2025: आज होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा। फाल्गुन माह की पूर्णिमा की रात को मनाया जाने वाला यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। आज होलिका नामक (Holika Dahan 2025) राक्षसी के पुतले को जलाया जाएगा। आज लोग भक्ति और धार्मिकता की जीत का प्रतिनिधित्व करते हुए अलाव जलाएंगे।
आज अग्नि की पूजा की जाती है और होलिका की अग्नि में नारियल, गेहूं और गुड़ जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। होलिका दहन (Holika Dahan 2025) के बाद रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। यह अनुष्ठान नकारात्मकता के अंत और जीवन में समृद्धि, खुशी और नई शुरुआत का प्रतीक है।
होलिका दहन का मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त रात 10:22 मिनट के बाद का है। उससे पहले भद्रा लगा रहेगा। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2025 को दोपहर 01:05 बजे से होगी। वहीँ इसका अंत 14 मार्च 2025 को दोपहर 02:53 बजे होगा।
होलिका दहन पर हो भद्रा का साया तो क्या करें?
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार होलिका दहन, जिसे होलिका दीपक या छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, प्रदोष काल (जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है) के दौरान किया जाना चाहिए, जब पूर्णिमा तिथि प्रबल हो। पूर्णिमासी तिथि के पहले भाग के दौरान भद्रा प्रबल होती है और जब भद्रा प्रबल होती है तो सभी अच्छे काम करने से बचना चाहिए।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बनारस के पंडितों और उत्तर भारत के अन्य लोगों द्वारा अपनाए गए वैकल्पिक मुहूर्त नियम के अनुसार, यदि भद्रा (Holika Dahan Bhadra) आधी रात के बाद प्रबल हो तो भद्रा समाप्त होने तक प्रतीक्षा करें और उसके बाद होलिका दहन करें।
होलिका दहन मुहूर्त प्राप्त करने की पहली प्राथमिकता प्रदोष के दौरान होती है, जब पूर्णिमा तिथि प्रबल होती है और भद्रा समाप्त हो जाती है। यदि भद्रा प्रदोष के समय व्याप्त हो लेकिन आधी रात से पहले समाप्त हो जाए तो होलिका दहन भद्रा समाप्त होने के बाद करना चाहिए। यदि भद्रा आधी रात के बाद समाप्त हो रही हो तो होलिका दहन केवल भद्रा में और विशेष कर भद्रा पुंछ के दौरान किया जाना चाहिए। भद्र मुख से बचना चाहिए और किसी भी हालत में भद्र मुख में होलिका दहन नहीं करना चाहिए।
ऐसा करने से न केवल व्यक्ति बल्कि पूरे शहर और देश के लिए पूरे साल दुर्भाग्य आता है। कई बार प्रदोष से लेकर आधी रात के बीच भद्रा पुंछ नहीं मिलता है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन करना चाहिए। दुर्लभ अवसरों पर जब न तो प्रदोष और न ही भद्रा पुंछ उपलब्ध हो तो प्रदोष के बाद होलिका दहन करना चाहिए।
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