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Jagannnath Swami Mukundpura: इस मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए करना पड़ता है सालों तक इंतजार, भगवान को साल भर की भूख मिटती है होली पर

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और उनके महाप्रसाद के सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है।
02:12 PM Mar 14, 2025 IST | Sunil Sharma

Jagannnath Swami Mukundpura: मैहर। विंध्य क्षेत्र में श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर मुकुन्दपुर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी होली पर्व के अवसर पर अटका महापर्व का आयोजित किया जाएगा। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजन की तैयारी पूरी कर ली गई है। महाप्रसाद चढ़ाने के लिए अलग-अलग भक्तों को अवसर दिया गया है। बताया जाता है कि श्री जगन्नाथ मंदिर में अटका पर्व के दौरान अटका प्रसाद चढ़ाने और कढ़ी-भात का प्रसाद ग्रहण करने के लिए रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना से लाखों श्रद्धालु यहां उमड़ते हैं।

जगन्नाथ स्वामी के प्रसाद से मिलती है पापों से मुक्ति

प्रसिद्ध कहावत "जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ", होली के दिन विंध्य धरा मुकुंदपुर में चरितार्थ होती है। अटका प्रसाद का अत्यंत महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और उनके महाप्रसाद के सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है। उनके भात को लेकर सदियों से चल रहा जाति और पंथ का भेदभाव समाप्त हुआ। उनके प्रसाद के रूप में मानव में एकांकी भाव का प्रकटीकरण होता है और सामाजिक समरसता और भाई चारा को बढ़ावा मिलता है।

भगवान विष्णु की कल्चुरीकालीन मूर्ति भी है यहां पर

मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं के बीच में भगवान विष्णु की कल्चुरीकालीन एवं भारतीय कला दर्शन की एक उत्कृष्ट प्रतिमा भी यहां स्थापित है। कहा जाता है कि कल्चुरी काल में यहां भगवान विष्णु का मंदिर था। कालांतर में मंदिर (Jagannnath Swami Mukundpura) के गिर जाने पर महाराजा भाव सिंह ने ईरानी गुम्बद शैली का मंदिर निर्माण कराया और उसी में इन मूर्तियों की स्थापना कराई।

2035 तक हो चुकी है अटका प्रसाद की बुकिंग

श्री जगन्नाथ मंदिर मुकुंदपुर (Jagannnath Swami Mukundpura) की आस्था का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2035 तक अटका प्रसाद की बुकिंग हो चुकी है। अगर कोई चाहे इससे पहले अटका प्रसाद चढ़ाना तो होली के फगुआ के दिन तो संभव नहीं है। इसके लिए पूर्णिमा का विकल्प रखा गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां प्रसाद चढ़ाने के लिए किस तरह भक्तों में उत्साह रहता है और भारी होड़ लगती है।

(मैहर से पुष्पेंद्र कुशवाहा की रिपोर्ट)

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