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Kalashtami 2025: जानिए किस दिन रखा जाएगा साल का पहला मासिक कालाष्टमी व्रत, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

हिन्दू धर्म में बहुत से व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्ही में से एक है कालाष्टमी व्रत, जो कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
08:15 AM Jan 19, 2025 IST | Jyoti Patel
Kalashtami 2025

Kalashtami 2025: हिन्दू धर्म में बहुत से व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्ही में से एक है कालाष्टमी व्रत, जो कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत हर महीने में एक बार किया जाता है। कालाष्टमी व्रत में भक्त काल भैरव की आराधना करते हैं। बता दें, काल भैरव को तंत्र और मंत्र के देवता के रूप में माना जाता है। कहा जाता है, कि उनकी पूजा से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है। वर्ष 2025 के पहला मासिक कालाष्टमी व्रत 21 जनवरी के दिन रखा जाएगा, इस दिन कई शुभ योग बन रहे है। इस बार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में

व्रत की तिथि

पंचांग के अनुसार, यह व्रत माघ मास की कृष्ण अष्टमी तिथि को है। जिसकी शुरुआत 21 जनवरी को दोपहर 12:39 बजे होगी और यह 22 जनवरी को दोपहर 3:18 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, मासिक कालाष्टमी व्रत 21 जनवरी (मंगलवार) को रखा जाएगा।

मासिक कालाष्टमी व्रत का पूजा मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 से 6:20 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: दिन के 12:11 से 12:54 बजे तक
राहुकाल: दोपहर 3:12 से 4:32 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 04:23 से शाम 06:11 बजे तक

योग और नक्षत्र की दशा

इस व्रत के दिन धृति योग प्रातःकाल से शुरू होकर 22 जनवरी को सुबह 3:50 बजे तक रहेगा। इसके बाद शूल योग की शुरुआत होगी। इस दिन चित्रा नक्षत्र प्रातःकाल से रात 11:36 बजे तक रहेगा, जिसके बाद स्वाति नक्षत्र रहेगा।

क्या है, व्रत का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,कहा जाता है, कि मासिक कालाष्टमी व्रत रखने वाले भक्तों की महाकाल स्वयं रक्षा करते हैं। काल भैरव की कृपा से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। उनकी उपासना करने से रोग, दोष, और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।

कालाष्टमी पूजा विधि

अगर आप कालाष्टमी व्रत रखतें हैं तो इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा विधि में प्रातः स्नान और पूजा स्थल का शुद्धिकरण करने के बाद व्रत का संकल्प लें। पूजा में काल भैरव की मूर्ति या चित्र पर काले वस्त्र अर्पित कर, फूल, बेलपत्र, काले तिल, धूप, दीप और कपूर से पूजा करें। इसके बाद भैरव चालीसा का पाठ और "ॐ कालभैरवाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान को मिष्ठान्न, पंचामृत और फल का भोग लगाकर आरती करें। इस दिन काले कुत्तों को रोटी या दूध खिलाना शुभ माना जाता है। व्रत का पारण अगले दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देकर करें।

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