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Kartik Purnima Snan: कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदापुरम में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, प्रशासन रहा मुस्तैद

नर्मदापुरम से 9 किलोमीटर दूर नर्मदा और तवा के संगम पर ग्राम बांद्रा बांध में डेढ लाख श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था की डुबकी लगाई।
01:59 PM Nov 15, 2024 IST | MP First

Kartik Purnima Snan: नर्मदापुरम। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पूरे राज्य में धार्मिक कार्यक्रम एवं पूजा-पाठ के अनुष्ठान किए गए हैं। इसी क्रम में नर्मदापुरम के सेठानी घाट सहित अन्य घाटों पर भी आज पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालु स्नान दान करने पहुंच रहे हैं। नर्मदापुरम से 9 किलोमीटर दूर नर्मदा और तवा के संगम पर ग्राम बांद्रा बांध में डेढ लाख श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था की डुबकी लगाई। कल सुबह 4:00 बजे से ही नर्मदापुरम सहित सीहोर, रायसेन, बैतूल एवं विदिशा सहित अन्य जिलों के श्रद्धालुओं ने नर्मदा तवा नदी तट के संगम स्थल पर पहुंचकर मां नर्मदा में स्नान किया।

पिछले 180 सालों से यहां लग रहा है मेला

कार्तिक मास के पावन अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु बांद्रा बांध संगम स्थल पर स्नान करने आते हैं। आपको बता दें कि यहां पर पिछले 180 सालों से मेला लग रहा है। संगम स्थल पर आदिवासी समाज के लोग अपने देवधामी की पूजा-पाठ करने के लिए भी उनको लाते हैं। बताया जाता है कि इस जगह को देवस्थल और देवभूमि भी कहा जाता है। यहां आने वाले लाखों लोगों की भीड़ को संभालने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हरसंभव इंतजाम किए जाते हैं। एहतियात के तौर पर होमगार्ड, एसडीआरएफ पुलिस और राज्य विभाग की टीमें यहां पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार तैनात रहते हैं।

राजा को मिला था मोक्ष, तपस्वियों ने भी की है तपस्या

प्लाटून कमांडर अमृता दीक्षित ने बताया कि होमगार्ड, एसडीआरएफ और अन्य सुरक्षा बलों के माध्यम से यहां पर सतत मॉनिटरिंग हो रही है। नर्मदा नदी और तांबा नदी के संगम पर बंदराबाद में नर्मदा जी में पानी अधिक गहरा है। वहां पर किसी प्रकार की कोई जनहानि ना हो इसके लिए भी यहां होमगार्ड सतत मॉनिटरिंग कर रहे हैं। किंवदंती है कि प्राचीन समय में एक राजा को यहां पर एक वानर की आकृति से मोक्ष मिला था। तभी से ये मेला यहां हर साल लगता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन संगम स्थल पर डुबकी लगाने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस संगम स्थल पर कई तपस्वियों ने मोक्ष के लिए तपस्या की थी। इसी कारण भी यह एक तीर्थस्थल बन चुका है।

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