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जानिए किस दिन मनाई जाएगी चैत्र महीने की संकष्टी चतुर्थी, क्या होगी पूजा विधि...

सनातम धर्म में बहुत से व्रत और त्योहार मनाए जातें हैं। हिन्दू धर्म में चतुर्थी के व्रत का भी खास महत्व है।
08:39 AM Mar 09, 2025 IST | Jyoti Patel
Sankashti Chaturthi 2025

Sankashti Chaturthi 2025: सनातम धर्म में बहुत से व्रत और त्योहार मनाए जातें हैं। हिन्दू धर्म में चतुर्थी के व्रत का भी खास महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। हर महीने में दो बार चतुर्थी तिथि आती है—शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष में संकष्टी चतुर्थी। हर संकष्टी चतुर्थी का अलग नाम और इसका विशेष महत्व होता है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में यानी 17 मार्च को मनाई जाएगी। कहा जाता है, इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।घर में सुख-समृद्धि आती है।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का शुभ महूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की 17 मार्च 2025 को रात 07:33 बजे से शुरू होकर इसका समापन 18 मार्च 2025 को रात 10:09 बजे होगा। इस दिन चंद्रोदय के समय भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025 यानी सोमवार को मनाई जाएगी।

पूजा विधि

इस दिन सुबह उठकरजल्दी स्नान करें और साफ कपड़े पहने।
अपने घर और पूजा स्थान को साफ-सुथरा रखें।
एक साफ़ चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापन करें।
घी का दीपक जलाएं और पीले फूलों की माला अर्पित करें।
तिलक करें और मोदक या मोतीचूर लड्डू का भोग चढ़ाएं।
इसके अलावा भगवान गणेश को दूर्वा घास चढ़ाएं।
"ॐ भालचंद्राय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
अंत में गणपति आरती करके पूजा पूरी करें

पूजा सामग्री (Sankashti Chaturthi 2025)

हर पूजा और व्रत को करने के लिए कुछ सामग्री की जरुरत पड़ती है। जिससे पूजा-पाठ में कोई विवधान नहीं पड़े आइये जानते हैं क्या है ये पूजा सामग्री।

चौकी
भगवान गणपति की चित्र
लाल वस्त्र
गंगाजल मिश्रित जल
तांबे का कलश
अक्षत (चावल)
घी का दीपक
हल्दी-कुमकुम
चंदन
मौली या जनेऊ
तिल
तिल-गुड़ के लड्डू
पुष्प माला
धूप
लाल फूल
दूर्वा घास
कर्पूर
दक्षिणा
फल या नारियल

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