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Lathmar Holi 2025: बरसाना में इस दिन मनाई जाएगी लट्ठमार होली, जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा

होली का त्योहार हर वर्ष फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वहीं लट्ठमार होली फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तिथि पर मनाया जाता है।
01:06 PM Mar 01, 2025 IST | Preeti Mishra
Lathmar Holi 2025

Lathmar Holi 2025: होली का त्योहार देश भर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जिसके विविध रूप हमें देखने को मिलते हैं। होली से पहले मथुरा में लड्डू मार होली, लट्ठमार होली और रंगभरी होली समेत कई पर्व मनाए जाते हैं। आज हम इस आर्टिकल में बरसाना के लट्ठमार होली (Lathmar Holi 2025) की बात करेंगे।

कब होगी लट्ठमार होली?

होली का त्योहार हर वर्ष फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वहीं लट्ठमार होली (Lathmar Holi 2025) फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तिथि पर मनाया जाता है। इस वर्ष फाल्गुन माह की नवमी तिथि की शुरुआत 07 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट से होगी और इसका समापन 08 मार्च को सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर होगा। इस प्रकार लट्ठमार होली 08 मार्च को मनाई जाएगी।

कैसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत?

लठमार होली मुख्य होली त्योहार से पहले उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगांव में आयोजित एक अनोखा और जीवंत उत्सव है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण राधा और उनकी सखियों को चिढ़ाते हुए उनके साथ होली खेलने के लिए बरसाना गए थे। जवाब में, महिलाओं ने खेल-खेल में कृष्ण और उनके दोस्तों को लाठियों से खदेड़ दिया। यह परंपरा आज भी जारी है, जहां नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं और महिलाओं द्वारा उन्हें लाठियों से पीटा जाता है, जबकि वे ढालों से खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। यह त्योहार रंगों, संगीत और हंसी से भरा होता है, जो प्रेम, खुशी और राधा-कृष्ण के चंचल बंधन का प्रतीक है।

कैसे खेलते हैं लट्ठमार होली?

ब्रज में होली का त्योहार 40 दिनों तक चलता है। इसमें लट्ठमार होली का विशेष स्थान होता है। लठमार होली में, नंदगांव के पुरुष भगवान कृष्ण की पौराणिक यात्रा को दोहराते हुए महिलाओं को छेड़ने के लिए राधा के गांव बरसाना जाते हैं। जवाब में, जीवंत पोशाक पहने महिलाएं लाठियों से उनका पीछा करती हैं, जबकि पुरुष ढाल का उपयोग करके अपनी रक्षा करते हैं। इस दौरान भीड़ होली के गीत गाती है, नृत्य करती है और गुलाल फेंकती है।

यह आयोजन बरसाना के राधा रानी मंदिर और बाद में नंदगांव में होता है, जहां भूमिकाएं उलट जाती हैं। यह त्योहार रंग, परंपरा और मैत्रीपूर्ण हंसी-मजाक का एक आनंददायक मिश्रण है। इसे देखने के लिए हर साला हजारों लोग बरसाना और नंदगांव आते हैं।

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