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Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर करें इन चीज़ों का दान, लाएगा सौभाग्य

कुछ लोग मौनी अमावस्या के दिन पूर्ण मौन का पालन करते हैं। वे पूरे दिन बोलने से बचते हैं और केवल स्वयं के साथ एकता की स्थिति प्राप्त करने के लिए ध्यान करते हैं।
12:39 PM Jan 16, 2025 IST | Preeti Mishra
Mauni Amavasya 2025

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या हिंदू महीने माघ के दौरान अमावस्या पर मनाई जाने वाली एक अनूठी हिंदू परंपरा है। मौनी अमावस्या को 'माघी अमावस्या' भी कहा जाता है क्योंकि यह माघ महीने में मनाई जाती है। 'मौनी' या 'मौन' शब्द चुप रहने का प्रतीक है, इसलिए इस दिन अधिकांश हिंदू पूर्ण मौन अथवा स्नान करने तक कुछ नहीं बोलते हैं। इस वर्ष मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) 29 जनवरी, दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

मौनी अमावस्या पर स्नान का है कुंभ में बहुत महत्व

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025 Significance) आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित दिन है। यह प्रथा देश के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है। इस त्योहार को प्रयागराज में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान, मौनी अमावस्या पवित्र गंगा में स्नान के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है और इसे लोकप्रिय रूप से 'कुंभ पर्व' या 'अमृत योग' के दिन के रूप में जाना जाता है। आंध्र प्रदेश में मौनी अमावस्या को 'चोलंगी अमावस्या' के रूप में मनाया जाता है और भारत के अन्य क्षेत्रों में इसे 'दर्श अमावस्या' के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए मौनी अमावस्या ज्ञान, सुख और धन प्राप्त करने का दिन है।

मौनी अमावस्या के दौरान अनुष्ठान

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025 Rituals) के दिन श्रद्धालु सूर्योदय के समय गंगा में पवित्र स्नान करने के लिए जल्दी उठते हैं। यदि कोई व्यक्ति इस दिन किसी तीर्थस्थल पर नहीं जा सकता है, तो उसे स्नान के पानी में थोड़ा गंगा जल अवश्य मिलाना चाहिए। यह व्यापक मान्यता है कि स्नान करते समय व्यक्ति को शांत रहना चाहिए। इस दिन भक्त भगवान ब्रह्मा की पूजा भी करते हैं और 'गायत्री मंत्र' का जाप करते हैं।

स्नान अनुष्ठान समाप्त करने के बाद, लोग ध्यान के लिए बैठते हैं। ध्यान एक अभ्यास है जो ध्यान केंद्रित करने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है। मौनी अमावस्या के दिन कोई भी गलत कार्य करने से बचना चाहिए।

लोग करते हैं मौन व्रत का पालन

कुछ लोग मौनी अमावस्या के दिन पूर्ण मौन (Mauni Amavasya Silence) का पालन करते हैं। वे पूरे दिन बोलने से बचते हैं और केवल स्वयं के साथ एकता की स्थिति प्राप्त करने के लिए ध्यान करते हैं। इस प्रथा को 'मौन व्रत' के नाम से जाना जाता है। यदि कोई व्यक्ति पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख सकता है, तो उसे पूजा अनुष्ठान समाप्त होने तक मौन रहना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन, कल्पवासियों के साथ हजारों हिंदू भक्त प्रयाग में संगम में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शेष दिन ध्यान में बिताते हैं।

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी उपयुक्त है। लोग क्षमा मांगने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपने 'पितरों' या पूर्वजों को 'तर्पण' देते हैं। इस दिन लोग कुत्ते, कौए, गाय और कुष्ट रोगी को भोजन कराते हैं।

मौनी अमावस्या को करें गाय का दान

दान देना मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya Daan) का एक और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। 'माघ' हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण महीना होता है। इस दिन लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और अन्य जरूरी चीजें दान करते हैं। शनिदेव को तिल का तेल चढ़ाने का भी विधान है। विद्वानों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गाय दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा गया है कि मौनी अमावस्या के दिन गाय का दान करना घर में सौभाग्य लाता है। इसके अलावा कई लोग साधु संतों को भूमि भी दान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन काला तिल और घी दान भी घर में समृद्धि लाता है।

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