Panchderiya Mahadev Mandir: एक ही पत्थर से बना है पूरा मंदिर, पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना

भीम ने यहां पर एक विशाल शिवलिंग का निर्माण किया। उसके बाद आसपास 4 और अन्य देवी-देवताओं की स्थापना की गई। चूंकि इसकी स्थापना 5 पांडवों ने की थी और यहां पर पांच देव स्थापित हैं इसलिए इसका नाम पंचदेहरीया पड़ गया।
panchderiya mahadev mandir  एक ही पत्थर से बना है पूरा मंदिर  पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना

Panchderiya Mahadev Mandir: आगर मालवा। मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के सुसनेर नगर से दस किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में विध्यांचल पर्वत श्रृंखला पर अतिप्राचीन पंच देवलिया (पंचदेहरिया) महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर पांडवकालीन बताया जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर को पांडवों ने एक ही लाल रंग के पत्थर से बनाकर यहां पर महाकाल के स्वरूप जैसे शिवलिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर यहा पर एक दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है।

साहित्यकार सुसनेरी की नजर में मंदिर

सुसनेर शहर के वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध साहित्यकार एवं कवि डॉक्टर रामप्रताप भावसार सुसनेरी बताते हैं कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडव अपनी माता देवी कुंती के साथ यहां रूके थे। विध्यांचल पर्वत श्रृंखला होने के कारण उन्है यह स्थान काफी पंसद आया। उन्होंने पहाडी की एक शिला को खुरेदा और भीम ने यहां पर एक विशाल शिवलिंग का निर्माण किया। उसके बाद आसपास 4 और अन्य देवी-देवताओं की स्थापना की गई। चूंकि इसकी स्थापना 5 पांडवों ने की थी और यहां पर पांच देव स्थापित हैं इसलिए इसका नाम पंचदेहरीया पड़ गया। ग्रामीण अंचल के कुछ लोग इसे मालवी भाषा में पंच देवलिया भी पुकारते हैं। इस मंदिर की स्थापना के बाद पांडव नलखेडा पहुंचे थे और यहां पर शक्तिपीठ मां बगलामुखी की स्थापना की थी।

आज भी साधु-संत कर रहे हैं यहां पर तपस्या

पिछले कुछ सालों से पंच देहरीया (Panchderiya Mahadev Mandir) का यह स्थान साधु-संतों की तपस्यास्थली बना हुआ है। कई सालों से चित्रकुट के संत शिवरामानंद जी महाराज और स्वामी दयानंद जी आश्रम संचालित करते हुएं आसपास के ग्रामीण अंचल के युवाओं को धर्म का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। पहाडी पर स्थित होने की वजह से यह मंदिर पर्यटन के लिहाज से भी लोगों की पसंद बना हुआ है। मंदिर में विराजित शिवलिंग भगवान महाकाल के स्वरूप का है जो हर साल तीर के समान बढता है।

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पंचदेहरिया महादेव मंदिर की खास बातें

इस मंदिर का शिखर भी उसी पत्थर का बना हुआ है जिस पत्थर से मंदिर का निर्माण हुआ है। कहा जाता है कि भीम ने अपनी शक्ति के बल पर लाल रंग के एक ही पत्थर को तराशकर मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर के पास ही पांडवों ने अपने रहने के लिए कुछ गुफाएं भी बनाई थी जो आज भी सहस्यमयी हैं। पंचदेहरिया मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है। इस मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि पर एक दिवसीय मेला लगता है। सावन के महीने में यहां शिव जी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर प्रबंधन के लिए बनी है 30 गांवों की एक समिति

पंचदेहरिया महादेव मंदिर (Panchderiya Mahadev Mandir) के प्रबंधन तथा यहां की व्यवस्थाओं को बनाए रखने में प्रशासन की जगह जनसहयोग की भूमिका ज्यादा रही है। आसपास के करीब 30 गांवों की एक समिति बनी हुई है जिन्होंने यहां रात्रि के समय भजन कीर्तन, सुंदरकांड पाठ जैसे धार्मिक आयोजनों की शुरूआत की तो मंदिर के आसपास रात्रि के समय होने वाली आपराधिक गतिविधियों पर विराम लग गया। मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित कराने के उद्देश्य से शिवशक्ति कावड यात्रा समिति के बेनरतले प्रतिवर्ष श्रावण मास में पंचेदह्नरिया महादेव का जलाभिषेक करने के लिए मनकामनेश्वर मंदिर से कावड व कलश यात्रा भी निकाली जाती है।

(आगर मालवा से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)

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