Papmochani Ekadashi 2025: कब है पापमोचनी एकादशी, क्यों मनाया जाता है यह पर्व? जानें सबकुछ

पापमोचनी एकादशी हिंदू कैलेंडर में 24 एकादशियों में से अंतिम है और माना जाता है कि यह पापों से मुक्ति दिलाती है।
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Papmochani Ekadashi 2025: होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह युगादि से पहले आती है। उत्तर भारतीय पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में और दक्षिण भारतीय अमांत कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।

हालांकि, उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों ही इसे एक ही दिन मनाते हैं। वर्तमान में यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल के महीने में आती है। पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) हिंदू कैलेंडर में 24 एकादशियों में से अंतिम है और माना जाता है कि यह पापों से मुक्ति दिलाती है।

Papmochani Ekadashi 2025: कब है पापमोचनी एकादशी, क्यों मनाया जाता है यह पर्व? जानें सबकुछ

पापमोचनी एकादशी तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025 Date) 25 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि सुबह 5:05 बजे से शुरू होगी और 26 मार्च को सुबह 3:45 बजे समाप्त होगी।

तिथि: 25 मार्च, 2025 (मंगलवार)
एकादशी तिथि शुरू: 25 मार्च, 2025 को सुबह 5:05 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 26 मार्च, 2025 को सुबह 3:45 बजे
पारण समय: 26 मार्च, 2025 को सुबह 6:19 बजे से 10:23 बजे तक

पापमोचनी एकादशी का महत्व

पापमोचनी एकादशी ((Papmochani Ekadashi Significance) चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी (11वें दिन) को मनाया जाने वाला एक पवित्र हिंदू उपवास दिवस है। "पापमोचनी" शब्द का अर्थ है "पापों को दूर करने वाला", जो पिछले पापों और नकारात्मक कर्मों को खत्म करने की दिन की शक्ति को दर्शाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से आध्यात्मिक शुद्धि, शांति और मुक्ति मिलती है। यह हिंदू वर्ष की आखिरी एकादशी है और क्षमा और ईश्वरीय आशीर्वाद चाहने वालों के लिए इसका विशेष महत्व है। भक्त समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करने के लिए विष्णु मंत्रों का जाप करते हैं, शास्त्र पढ़ते हैं और दान करते हैं।

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पापमोचनी एकादशी क्यों मनाते हैं?

पापमोचनी एकादशी (why we celebrate papmochani ekadashi) पिछले पापों की क्षमा मांगने और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, जो पापों, दुष्कर्मों और नकारात्मक कर्मों से मुक्ति प्रदान करते हैं। यह पर्व होली और चैत्र नवरात्रि के बीच आता है और हिंदू वर्ष की आखिरी एकादशी को चिह्नित करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो मोक्ष और आंतरिक शांति चाहते हैं।

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