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Sawan 2024: भोलेनाथ को समर्पित सावन का महीना आज से शुरू, ज्योतिषाचार्य से जानें कैसे करें रुद्राभिषेक

Sawan 2024: भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना आज 22 जुलाई (Sawan 2024) से प्रारम्भ हो गया है। इस वर्ष सावन माह 29 दिनों का है। इस बार सावन महीने में पांच सोमवार पड़ेंगे। सावन महीने में सोमवार का...
06:00 AM Jul 22, 2024 IST | Preeti Mishra

Sawan 2024: भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना आज 22 जुलाई (Sawan 2024) से प्रारम्भ हो गया है। इस वर्ष सावन माह 29 दिनों का है। इस बार सावन महीने में पांच सोमवार पड़ेंगे। सावन महीने में सोमवार का व्रत अत्यन्त ही शुभ माना गया है। सावन का महीना 19 अगस्त सोमवार को ही समाप्त होगा।

लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि श्रावण माह (Sawan 2024) भगवान शिव का पवित्र माह है। इस माह में शिव आराधना और शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण माष में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। इस बार श्रावण में 5 सोमवार पड़ रहा है।

कैसे करें शिव पूजन?

ज्योतिषाचार्य श्री पांडेय का कहना है कि शिव पूजन में भगवान शिव को सर्वप्रथम जल धारा से स्नान कराकर पंचामृत स्नान व बृहद जलधारा स्नान कराकर भष्मादि लगाने के बाद भांग, विल्वपत्र, सफेद कनेर का पुष्प, सफेद मदार का पुष्प, धतूरा, शमीपत्र, तुलसी मंजरी, विशेष रूप से चढ़ाकर पूजन करना चाहिए। पूजन के पश्चात् 'ॐ नमःशिवाय' मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र का जप यथा सम्भव करना चाहिए।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय
किस वस्तु से रुद्राभिषेक करने से क्या मिलता है लाभ?

रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिगं पर गाय का दूध या गन्ने के रस से, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गाय के दूध में चीनी व मेवे के घोल से, शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से, पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से, अभीष्ट की प्राप्ति हेतु गाय के घी से तथा भूमि-भवन एवं वाहन की प्राप्ति हेतु शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए। हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है।

ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय बताते है यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से सम्बंधित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगा जल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। चन्द्रमा से सम्बंधित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से सम्बंधित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगा जल में मिलाकर, बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से, गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गाय के दूध से, शुक्र से सम्बंधित रोग एवं कष्ट हो तो गाय के दूध के छाछ से, शनि से सम्बंधित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगा जल में मिलाकर, राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगा जल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है।

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