Sawan Shivratri 2024: हिन्दू धर्म में सावन शिवरात्रि का है बहुत महत्व, जानें किस दिन मनाया जायेगा यह त्योहार
Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है। इस दिन (Sawan Shivratri 2024) भक्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजा करते हैं और शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर दूध, शहद और बेल के पत्ते चढ़ाते हैं। यह दिन स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मांगने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, एक वर्ष में 12 शिवरात्रियां होती हैं, जिनमें से दो विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। एक है महाशिवरात्रि, जो फाल्गुन के महीने में धूमधाम से मनाई जाती है, और दूसरी है सावन शिवरात्रि, जो सावन के महीने (Sawan Shivratri 2024) में मनाई जाती है। सावन शिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखती है, जिसे अनुष्ठान और भक्ति के साथ मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, सावन शिवरात्रि उत्तर भारतीय राज्यों जैसे उत्तराखण्ड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ व झारखण्ड में अधिक प्रचलित है। उन राज्यों में जहां अमान्त पंचांग का पालन किया जाता है, जैसे आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात व तमिलनाडु में सावन शिवरात्रि को आषाढ़ शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है।
कब है इस वर्ष सावन शिवरात्रि
इस वर्ष सावन का महीना जुलाई 22 से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा। वहीं इस वर्ष सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन निशिता काल पूजा समय रात 12 बजे से रात 12 बज कर 49 मिनट तक है। वहीं जो लोग शिवरात्रि के दिन व्रत रखेंगे उनके पारण का समय 3 अगस्त 06:27 से 14:20 तक का है।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 02, 2024 को 13:56 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगस्त 03, 2024 को 14:20 बजे
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन शिवरात्रि का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि यह श्रावण के शुभ महीने के दौरान मनाया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन शिव की पूजा करने से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह त्योहार उपवास, मंत्र जाप और दूध, पानी और शहद से शिव लिंगम का अभिषेक करके मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान दैवीय कंपन विशेष रूप से शक्तिशाली होते हैं, जो आध्यात्मिक विकास और इच्छाओं की पूर्ति में सहायता करते हैं। श्रावण से जुड़ा मानसून का मौसम, भगवान शिव की नवीकरण और कायाकल्प शक्ति का प्रतीक है।
सावन शिवरात्रि व्रत विधि
- शिवरात्रि के एक दिन पहले, मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद भक्त गणों को पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए।
- शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत तोड़ना चाहिए।
- व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु, भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए।