मध्य प्रदेशराजनीतिनेशनलअपराधकाम की बातहमारी जिंदगीधरम करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बातपढ़ाई-रोजगारदुनिया

Shanichara Temple Morena: सबसे प्राचीन है मुरैना का शनि मंदिर, यहां शनि देव से गले मिलते हैं भक्त

Shanichara Temple Morena: बृहस्पतिवार 6 जून को शनि जयंती मनाया जाएगा। ऐसे में लोग भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश के कई शनि मंदिरों में माथा टेकेंगे। इन्ही मंदिरों में से एक है मध्य प्रदेश के मुरैना...
05:05 PM Jun 05, 2024 IST | Preeti Mishra
(Image Credit: MP First)

Shanichara Temple Morena: बृहस्पतिवार 6 जून को शनि जयंती मनाया जाएगा। ऐसे में लोग भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश के कई शनि मंदिरों में माथा टेकेंगे। इन्ही मंदिरों में से एक है मध्य प्रदेश के मुरैना के ऐंती पर्वत पर स्थित त्रेतायुगीन शनि मंदिर। किवदंती है कि यहां विराजमान शनि देव की मूर्ति (Shanichara Temple Morena) का निर्माण आकाश से गिरे हुए उल्कापिंड से हुआ है। मुरैना के इस मंदिर को देश का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है। बताया जाता है कि इसकी स्थापना त्रेता युग में हुई थी।

क्या है मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी

यहां के पुजारी ने बताया कि शनिचरा पहाड़ी पर स्थित मंदिर में शनिदेव की मूर्ति का निर्माण आसमान से गिरे उल्का पिण्ड से हुआ। एक और पौराणिक कथा के अनुसार जब हनुमान जी लंका जलाने के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि शनिदेव, जिन्हें राक्षस रावण ने बंदी बना लिया था, को लंका जलाने के लिए मुक्त करना होगा। हनुमान जी ने शनिदेव (Shanichara Temple Morena) को कैद से छुड़ाने में देर नहीं की और उन्हें लंका छोड़कर जहां तक ​​संभव हो चले जाने को कहा। लंबी कैद के कारण शनिदेव इतने कमजोर हो गए थे कि वे तेजी से चल भी नहीं पाते थे और इसलिए उन्होंने हनुमानजी से अनुरोध किया कि वे उन्हें अपनी पूरी ताकत से लंका से बाहर भारत भूमि की ओर फेंक दें और लंका जलाने के लिए आगे बढ़ें। शनिचरा मंदिर वह स्थान है जहां हनुमानजी द्वारा लंका से फेंके जाने पर शनिदेव अवतरित हुए थे। यह कोई संयोग नहीं है कि इस पहाड़ी क्षेत्र को शनि पर्वत कहा जाता है। लंका से लौटने के बाद हनुमान जी इस स्थान पर शनिदेव के दर्शन करने आये थे और हनुमान जी ने शनिदेव की पूजा के लिए एक मंदिर भी बनवाया था।

विक्रमादित्य ने की थी शनि देव और हनुमान जी के मूर्ति की स्थापना

बताया जाता है कि रावण के कैद में रहने के कारण शनि देव की शक्तिहीन हो गए थे। यहीं पर तपस्या करने के बाद उनकी शक्ति उन्हें वापस मिली थी। यही कारण है कि शनि देव की मूर्ति यहां तपस्या में लीन दिखाई पड़ती है। यहां शनिदेव (Shanichara Temple Morena) की मूर्ति की स्थापना चक्रवर्ती महाराज विक्रमादित्य ने की थी। विक्रमादित्य ने ही शनिदेव की प्रतिमा के सामने हनुमान जी की मूर्ति की भी स्थापना की थी। बाद में ग्वालियर के सिंधिया राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। यहां शनि देव तांत्रिक के रूप हैं जिनके एक हाथ में रुद्राक्ष की माला, सुमिरनी और दूसरे हाथ में दंड है।

पहाड़ी पर गुप्त गंगा, गुफाओं में संत करते थे तपस्या

शनि मंदिर के समीप ही पौड़ी वाले हनुमान जी की जमीन पर लेटी हुई प्रतिमा है। सम्पूर्ण शनिश्चरा पहाड़ी एवं इसके आसपास का क्षेत्र सिद्ध क्षेत्र है, जिसका अनुभव भक्तों व श्रद्धालुओं को होता है। शनिमंदिर में पहाड़ी से अनवरत गुप्त गंगा की धारा निकल रही है, एवं उक्त स्थान पर निर्मित गुफाओं में संत लोग तपस्या करते थे। इस बात के प्रमाण भी वर्तमान में दिखाई देते हैं। मंदिर परिसर में एक छोटा पौराणिक पवित्र जल कुंड है, जिसे गुप्त गंगा धारा के नाम से जाना जाता है। जिसमें हर समय पानी देखा जा सकता है जबकि मंदिर बीहड़ क्षेत्र में स्थित है। पवित्र जल में स्नान करना गंगा नदी के समान शुभ माना जाता है। गुप्त गंगा का पानी मीठा और ठंडा होता है।

इसी पहाड़ी से ले जाई गई थी शनि सिंगणापुर की शिला

यहां शनि पर्वत निर्जन वन में स्थापित होने से विशेष प्रभावशाली है। बताया जाता है कि महाराष्ट्र के शनि सिंगणापुर में स्थापित शिला को शनिश्चरा पहाड़ी से ही ले जाकर स्थापित किया गया था। 17वीं शताब्दी में प्रतिष्ठित शनि शिला को इसी शनि पर्वत से ले जाकर महाराष्ट्र के सिग्नापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया था। यह मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के अनुसार बहुत ही उत्तम मंदिर है। शनि जयंती पर मंदिर में विशाल मेला लगता है जिसमे लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में दर्शन के बाद भक्तों द्वारा मंदिर की परिक्रमा की जाती है।

यहां लोग मिलते हैं शनि देव के गले

जहां लोग देश के अन्य शनि मंदिरों में शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाते हैं वहीं मुरैना के इस मंदिर में लोग अपने शनि देव से गले मिलते हैं। यही नहीं लोग शनि देव से गले मिलकर अपनी बातें और समस्याएं भी सांझा करते हैं। प्रत्येक शनिवार को विभिन्न राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, बिहार, गुजरात और विदेशों जैसे नेपाल, श्रीलंका, न्यूजीलैंड से हजारों भक्त मंदिर में आते हैं। शनिचरी अमावस्या पर यहां विशेष मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं।

यहां पहुंचने के लिए क्या करें

शनिचरा मंदिर आप फ्लाइट, रेल या सड़क मार्ग तीनों से जा सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई अड्डा है जो मुरैना से लगभग 30 किलोमीटर, भिंड से लगभग 80 किलोमीटर और श्योपुर जिले से लगभग 210 किलोमीटर दूर स्थित है। वहीं ट्रेन से शनिचरा मंदिर तक पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ग्वालियर है। सभी जिले बस द्वारा अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। पर्यटक अपने वाहन से यहां आ सकते हैं अथवा कोई वहां किराये पर ले सकते हैं। यह जगह सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

यह भी पढ़ें: Shani Mandir Juni Indore: 300 वर्ष पुराना है इंदौर का जूनी शनि मंदिर, यहां भगवान को चढ़ाया जाता है सिंदूर

Tags :
Dharma NewsDharma News in HindiLatest Dharma NewsMorena NewsMP Dharma NewsShani TempleShanichara TempleShanichara Temple Morenaमुरैना न्यूज़शनिचरा मंदिरशनिचरा मंदिर मुरैना

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article