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Shiv Vivah Utsav: महाकाल बनेंगे दूल्हा, अलग-अलग रूपों में देंगे दर्शन

पहले दिन चंदन शृंगार, दूसरे दिन शेषनाग श्रृंगार, तीसरे दिन घटाटोप श्रृंगार, चौथे दिन छबीना श्रृंगार, पांचवे दिन होल्कर रूप श्रृंगार, छठे दिन मनमहेश रूप श्रृंगार, सातवे दिन उमा महेश श्रृंगार, आठवे दिन शिवतांडव श्रृंगार तथा नौवें दिन सप्तधान श्रृंगार किया जाएगा।
01:58 PM Feb 17, 2025 IST | Sunil Sharma

Shiv Vivah Utsav: उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में 17 फरवरी से शिव विवाह उत्सव का उल्लास छाएगा। भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे और भक्तों को अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से यही एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां शिव नवरात्र के रूप में 9 दिनों तक महाशिवरात्रि उत्सव मनाया जाता है। हालांकि, इस बार तिथि में वृद्धि होने के कारण शिव नवरात्रि 10 दिनों की रहेगी। इधर, उत्सव के लिए मंदिर में रंगरोगन का काम पूरा हो चुका है। रविवार को मंदिर परिसर में नया रेड कारपेट बिछाया गया।

फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक चलेगा शिव नवरात्र उत्सव

दरअसल, महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक शिव नवरात्र उत्सव मनाया जाता है। इस बार 17 फरवरी को इसकी शुरुआत होगी। इस दिन ज्योतिलिंग पुजारी कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन कर हल्दी अर्पित करेंगे। करीब एक घंटे के विशेष पूजन के बाद सुबह 9.30 बजे से गर्भगृह में बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक एवं पूजन होगा। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रूद्रपाठ किया जाएगा। पूजन का यह क्रम दोपहर 1 बजे तक चलेगा। इसके बाद भोग आरती होगी। दोपहर 3 बजे संध्या पुजन होगा। यह क्रम महाशिवरात्रि (26 फरवरी) तक चलेगा।

शिव नवरात्र में बदलेगा भोग आरती और संध्या पूजन का समय

शिव नवरात्र (Shiv Vivah Utsav) में अभिषेक-पूजन के विशेष अनुक्रम के कारण श्री महाकालेश्वर मंदिर में भोग आरती एवं संध्या पूजन का समय बदलेगा। अभी सुबह 10 बजे भोग आरती एवं शाम 5 बजे संध्या पूजन होता है लेकिन शिव नवरात्र के दौरान दोपहर 1 बजे भोग आरती एवं दोपहर 3 बजे संध्या पूजन होगा। इधर, शिव नवरात्रि उत्सव को लेकर सफाई के बाद मंदिर का कोना-कोना चमक रहा है। रंगरोगन के चलते शिखर भी दमक रहा है। कोटितीर्थ कुंड के आसपास भी सफाई पूरी हो चुकी है। जगह-जगह रेड कारपेट बिछाकर उस पर गमले रखे गए हैं।

9 दिन होंगे अलग-अलग शृंगार

पहले दिन चंदन शृंगार, दूसरे दिन शेषनाग श्रृंगार, तीसरे दिन घटाटोप श्रृंगार, चौथे दिन छबीना श्रृंगार, पांचवे दिन होल्कर रूप श्रृंगार, छठे दिन मनमहेश रूप श्रृंगार, सातवे दिन उमा महेश श्रृंगार, आठवे दिन शिवतांडव श्रृंगार तथा नौवें दिन सप्तधान श्रृंगार किया जाएगा। महाशिवरात्रि के अगले दिन 27 फरवरी को महाशिवरात्रि उत्सव का समापन होगा। साल में यह एकमात्र मौका होता है जब दोपहर में भस्म आरती होती है। इस दिन तीन क्विंटल फूलों से बना बाबा महाकाल का सेहरा भक्तों के बीच लुटाया जाता है। मान्यता है कि बाबा के सेहरे के धान, फूल आदि रखने से घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है।

अलग-अलग दिन होंगे अलग-अलग अभिषेक

महाशिवरात्रि पर्व पर 26 फरवरी को दिनभर जलधारा से भगवान महाकाल का अभिषेक (Shiv Vivah Utsav) होगा एवं रातभर बाबा महाकाल का विशेष पूजन एवं अभिषेक होगा। अगले दिन 27 फरवरी को सुबह भगवान के सप्तधान्य श्रृंगार एवं सेहरे के दर्शन होंगे। इसके बाद दोपहर 12 बजे भस्म आरती होगी। इस दौरान मंदिर के पट करीब 44 घण्टे खुले रहेंगे। इस महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में श्री महाकालेश्वर मन्दिर में भक्त पहुचेंगे और भगवान महाकाल से आशीर्वाद लेंगे। प्रशासन ने भी भक्तों को किसी तरह की असुविधा ना हो, इसके लिए पूरी तैयारी की है।

(उज्जैन से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)

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