Sita Mata Temple: इस मंदिर में भगवान राम के बिना होती है मां सीता की पूजा

जब भगवान राम ने मां सीता का त्याग किया था तो वह महर्षि वाल्मीकिजी के आश्रम में जाकर रुकी थी। यहीं उन्होंने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था और महर्षि वाल्मिकी ने ही उन्हें समस्त विद्याओं की शिक्षा दी थी।
sita mata temple  इस मंदिर में भगवान राम के बिना होती है मां सीता की पूजा

Sita Mata Temple: अशोकनगर। भगवान राम के साथ सदैव माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमानजी की पूजा की जाती है। परंतु क्या आप जानते हैं कि सीताजी का एक ऐसा भी मंदिर है जहां उनके साथ भगवान राम विराजमान नहीं है। जी हां, मध्य प्रदेश के अशोक नगर में स्थित एक मंदिर में केवल सीताजी एवं उनके दो पुत्र लव और कुश की पूजा होती है। यहां पर मां जानकी की प्रतिमा के साथ साथ लव-कुश और उनके गुरु महर्षि वाल्मीकि जी विराजान हैं जबकि राम जी यहां उनके साथ विराजमान नहीं हैं। यहां उनके बिना ही सीताजी की पूजा होती है। बताया जाता है कि जब भगवान राम ने मां सीता का त्याग किया था तो वह महर्षि वाल्मीकिजी के आश्रम में जाकर रुकी थी। यहीं उन्होंने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था और महर्षि वाल्मिकी ने ही उन्हें समस्त विद्याओं की शिक्षा दी थी। जिस स्थान पर उनका आश्रम था, वह स्थान आज का अशोकनगर ही है। यहां पर करील के अत्यधिक वृक्ष होने के कारण इसका एक नाम कारीला भी पढ़ा।

साल में एक बार ही खुलती है महर्षि वाल्मीकि जी की गुफ़ा

लव-कुश के जन्मोत्सव पर रंग पंचमी पर करीला माता का मंदिर भव्य रुप से सजाया जाता है जिसमें आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ता है। भक्तों की मान्यता पूरी होने पर लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर लगने वाले मेले में प्रति दिन हजारों नृत्यांगाएं पूरी रात नगड़िया की थाप पर राई नृत्य करती हैं जिससे पूरा वातावरण नगड़िया और घुंगरियों से गूंजता रहता है और साल भर में सिर्फ एक बार इसी अवसर पर महर्षि वाल्मीकि जी की गुफा को भी खोला जाता है। गुफा की रंग पंचमी पर साफ़ सफाई करके धूनी का सामान रखा जाता है। रंग पंचमी पर लगने वाला तीन दिवसीय मेला जल्द ही शुरू होगा। इसमें भाग लेने के लिए देश भर के श्रद्धालु पहुंचेंगे। इस मेले (Sita Mata Temple Mela) के आयोजन की समस्त तैयारियां प्रशासन द्वारा कर ली गई है एवं प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के वाहनों को रखने के लिए तीनों रास्तों पर पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।

Sita Mata Temple Rai Nritya

रंग पंचमी पर पहुंचते हैं लाखो श्रद्धालु

होली से शुरू हुआ यह मेला रंग पंचमी तक चलता है जिसमे देश भर से लाखो श्रद्धालु पहुंचते हैं। वैसे भी प्रतिदिन यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता है पर खास बात यह है कि माता जानकी के पुत्र लव कुश के जन्म दिवस पर 25 से 30 लाख श्रद्धालु राई नृत्य देखने और जानकी माता और लव कुश का जन्म दिन मानने पहुंचते हैं। अशोकनगर जिले में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले करीला मेले में भी इस वर्ष भी व्यवस्थित रूप से आयोजित किया जा रहा है। मेले में आने वाली राई नृत्यांगनाओं के लिए जहां विश्राम गृह बनाया गया है जिसमें उनके सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग चबूतरे तैयार किए गए हैं जिन पर नृत्यागनाएं राई नृत्य करके माता जानकी से आमजन द्वारा मांगी गई मन्नतें पूरी होने की प्रार्थना करती है। इस दौरान मेले में शराब के उपयोग को भी पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है।

Sita Mata Temple Rai Dancers

मेले में की गई है खास व्यवस्था

प्रशासन और पीएचई राज्यमंत्री के खास निर्देश पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था मेले में पाइप लाइन बिछाकर 20, 20 फीट से मेले परिसर में चारो तरफ टोटियां के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था की गई है जिसमे 300 छोटे बड़े के लगभग टैंकर भी मेले में लगे हुए हैं। यहां पर कई अस्थाई शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ स्नानघर की भी व्यवस्था पानी सहित की गई है। इनके साथ ही करीला में रंगपंचमी व हनुमान जयंती पर बड़ा मेला लगता है। इसके अलावा हर माह की प्रत्येक पूर्णिमा पर भी करीला में 40 हजार से लेकर एक लाख तक श्रद्धालु पहुंचते हैं। करीला के रंगपंचमी मेले (Sita Mata Temple Rang Panchmi Mela) में करोड़ों रुपयों का कारोबार होता है, इसके लिए सैंकड़ों दुकानें लगती हैं। इस मेले सबसे ज्यादा खरीदी कढ़ाही, लुहांगी एवं लोहे के सामानों की होती है।

Sita Mata Temple Mela Field

इस बार मेले में खास रहेंगी ये बातें

मंदिर में अगरबत्ती पर पूरी तरह से प्रतिबंध है और अंदर नारियल ले जाने पर भी रोक लगाई गई है, अतः दर्शनार्थियों से बाहर ही नारियल एकत्रित कराए जाएंगे। साथ ही जूते-चप्पल भी बाहर ही उतारने होंगे। मेले में इस बार खास व्यवस्थाएं की गई हैं जो इस प्रकार हैं

  • पूरे मेला परिसर की 100 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी।
  • 2 ड्रोन से मेला क्षेत्र पर नजर रखी जाएगी।
  • 2000 पुलिस जवान सुरक्षा में तैनात रहेंगे।
  • 500 आंगनबाड़ी महिलाएं की ड्यूटी लगाई गई है।
  • 1000 कर्मचारियों की ड्यूटी रहेगी।
  • 25 से 30 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है।
  • 300 अस्थाई टॉयलेट बनाए गए हैं।
  • 100 स्थानों पर पेयजल के लिए टोंटी लगाई गई है।
  • 300 टैंकरों से पेयजल की व्यवस्था होगी।
  • इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अस्थाई अस्पताल और 12 एंबुलेंस भी तैनात रहेंगी।

(अशोकनगर से भारतेंदु सिंह बैंस की रिपोर्ट)

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