मध्य प्रदेशराजनीतिनेशनलअपराधकाम की बातहमारी जिंदगीधरम करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बातपढ़ाई-रोजगारदुनिया

Sita Mata Temple: इस मंदिर में भगवान राम के बिना होती है मां सीता की पूजा

जब भगवान राम ने मां सीता का त्याग किया था तो वह महर्षि वाल्मीकिजी के आश्रम में जाकर रुकी थी। यहीं उन्होंने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था और महर्षि वाल्मिकी ने ही उन्हें समस्त विद्याओं की शिक्षा दी थी।
04:22 PM Mar 13, 2025 IST | Sunil Sharma

Sita Mata Temple: अशोकनगर। भगवान राम के साथ सदैव माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमानजी की पूजा की जाती है। परंतु क्या आप जानते हैं कि सीताजी का एक ऐसा भी मंदिर है जहां उनके साथ भगवान राम विराजमान नहीं है। जी हां, मध्य प्रदेश के अशोक नगर में स्थित एक मंदिर में केवल सीताजी एवं उनके दो पुत्र लव और कुश की पूजा होती है। यहां पर मां जानकी की प्रतिमा के साथ साथ लव-कुश और उनके गुरु महर्षि वाल्मीकि जी विराजान हैं जबकि राम जी यहां उनके साथ विराजमान नहीं हैं। यहां उनके बिना ही सीताजी की पूजा होती है। बताया जाता है कि जब भगवान राम ने मां सीता का त्याग किया था तो वह महर्षि वाल्मीकिजी के आश्रम में जाकर रुकी थी। यहीं उन्होंने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था और महर्षि वाल्मिकी ने ही उन्हें समस्त विद्याओं की शिक्षा दी थी। जिस स्थान पर उनका आश्रम था, वह स्थान आज का अशोकनगर ही है। यहां पर करील के अत्यधिक वृक्ष होने के कारण इसका एक नाम कारीला भी पढ़ा।

साल में एक बार ही खुलती है महर्षि वाल्मीकि जी की गुफ़ा

लव-कुश के जन्मोत्सव पर रंग पंचमी पर करीला माता का मंदिर भव्य रुप से सजाया जाता है जिसमें आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ता है। भक्तों की मान्यता पूरी होने पर लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर लगने वाले मेले में प्रति दिन हजारों नृत्यांगाएं पूरी रात नगड़िया की थाप पर राई नृत्य करती हैं जिससे पूरा वातावरण नगड़िया और घुंगरियों से गूंजता रहता है और साल भर में सिर्फ एक बार इसी अवसर पर महर्षि वाल्मीकि जी की गुफा को भी खोला जाता है। गुफा की रंग पंचमी पर साफ़ सफाई करके धूनी का सामान रखा जाता है। रंग पंचमी पर लगने वाला तीन दिवसीय मेला जल्द ही शुरू होगा। इसमें भाग लेने के लिए देश भर के श्रद्धालु पहुंचेंगे। इस मेले (Sita Mata Temple Mela) के आयोजन की समस्त तैयारियां प्रशासन द्वारा कर ली गई है एवं प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के वाहनों को रखने के लिए तीनों रास्तों पर पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।

रंग पंचमी पर पहुंचते हैं लाखो श्रद्धालु

होली से शुरू हुआ यह मेला रंग पंचमी तक चलता है जिसमे देश भर से लाखो श्रद्धालु पहुंचते हैं। वैसे भी प्रतिदिन यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता है पर खास बात यह है कि माता जानकी के पुत्र लव कुश के जन्म दिवस पर 25 से 30 लाख श्रद्धालु राई नृत्य देखने और जानकी माता और लव कुश का जन्म दिन मानने पहुंचते हैं। अशोकनगर जिले में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले करीला मेले में भी इस वर्ष भी व्यवस्थित रूप से आयोजित किया जा रहा है। मेले में आने वाली राई नृत्यांगनाओं के लिए जहां विश्राम गृह बनाया गया है जिसमें उनके सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग चबूतरे तैयार किए गए हैं जिन पर नृत्यागनाएं राई नृत्य करके माता जानकी से आमजन द्वारा मांगी गई मन्नतें पूरी होने की प्रार्थना करती है। इस दौरान मेले में शराब के उपयोग को भी पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है।

मेले में की गई है खास व्यवस्था

प्रशासन और पीएचई राज्यमंत्री के खास निर्देश पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था मेले में पाइप लाइन बिछाकर 20, 20 फीट से मेले परिसर में चारो तरफ टोटियां के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था की गई है जिसमे 300 छोटे बड़े के लगभग टैंकर भी मेले में लगे हुए हैं। यहां पर कई अस्थाई शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ स्नानघर की भी व्यवस्था पानी सहित की गई है। इनके साथ ही करीला में रंगपंचमी व हनुमान जयंती पर बड़ा मेला लगता है। इसके अलावा हर माह की प्रत्येक पूर्णिमा पर भी करीला में 40 हजार से लेकर एक लाख तक श्रद्धालु पहुंचते हैं। करीला के रंगपंचमी मेले (Sita Mata Temple Rang Panchmi Mela) में करोड़ों रुपयों का कारोबार होता है, इसके लिए सैंकड़ों दुकानें लगती हैं। इस मेले सबसे ज्यादा खरीदी कढ़ाही, लुहांगी एवं लोहे के सामानों की होती है।

इस बार मेले में खास रहेंगी ये बातें

मंदिर में अगरबत्ती पर पूरी तरह से प्रतिबंध है और अंदर नारियल ले जाने पर भी रोक लगाई गई है, अतः दर्शनार्थियों से बाहर ही नारियल एकत्रित कराए जाएंगे। साथ ही जूते-चप्पल भी बाहर ही उतारने होंगे। मेले में इस बार खास व्यवस्थाएं की गई हैं जो इस प्रकार हैं

(अशोकनगर से भारतेंदु सिंह बैंस की रिपोर्ट)

यह भी पढ़ें:

Gupteshwar Mahadev Temple: गुप्तेश्वर महादेव मंदिर अद्भुत शिवलिंग की रहस्यमयी गुफा, पढ़ें पूरी खबर

Gwalior Sas Bahu Temple: सास बहू मंदिर से जुड़ी है यह रोचक कथा, यहां की हर प्रतिमा है अपने आप में खास

Gobar Holi Gwalior: ग्वालियर में यहां खेली जाती है गोबर की हर्बल होली, गंध मिटाने के लिए मिलाते हैं इत्र और गंगाजल

Tags :
Ashoknagar NewsAshoknagar sita mata templedharma karmahindu pilgrimage placeshindu temple in MPMadhya Pradesh Latest NewsMadhya Pradesh Newsmp firstMP First NewsMP Latest NewsMP newsrang panchami melarang panchmi importanceSita Mata Templeएमपी फर्स्टएमपी फर्स्ट न्यूज़मध्य प्रदेश न्यूज़मध्य प्रदेश लेटेस्ट न्यूज

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article