Swarn Mandir Gwalior: एमपी के ग्वालियर में भी है स्वर्ण मंदिर, 300 साल पहले हुआ था निर्माण

इस स्वर्ण मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण में लगभग एक क्विंटल से भी ज्यादा सोने का इस्तेमाल किया गया है। करीब 305 साल पुराने इस प्राचीन मंदिर में संवत 1212 की भगवान पार्शवनाथ की चमत्कारी प्रतिमा स्थापित है।
swarn mandir gwalior  एमपी के ग्वालियर में भी है स्वर्ण मंदिर  300 साल पहले हुआ था निर्माण

Swarn Mandir Gwalior: ग्वालियर। अगर आप से पूछा जाए कि हिंदुस्तान में स्वर्ण मंदिर कहां पर स्थित है तो यकीनन सौ फीसदी आपका जवाब होगा पंजाब के अमृतसर में। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमृतसर के अलावा देश में एक और स्वर्ण मंदिर है। जी हां, ये स्वर्ण मंदिर स्थित है ग्वालियर में, जिसका निर्माण करीब तीन सौ साल पहले हुआ था। यह स्वर्ण मंदिर लगभग एक क्विंटल शुद्ध सोने से बना हुआ है।

ग्वालियर में 300 वर्ष पूर्व किया गया था स्वर्ण मंदिर का निर्माण

स्वर्ण मंदिर का नाम लेते ही जेहन में सिख धर्म के पवित्र धर्मस्थल अमृतसर की याद ताजा हो जाती है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को दुनियाभर के लोग जानते हैं। लेकिन अमृतसर के अलावा भारत में ही एक और स्वर्ण मंदिर है और वो है ग्वालियर में। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तरह ही ग्वालियर शहर में भी स्वर्ण मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण करीब तीन सौ साल पहले जैन समाज ने करवाया था।

Swarn Mandir Gwalior

एक क्विंटल से अधिक सोने का प्रयोग किया गया है मंदिर बनाने में

इस मंदिर का निर्माण जैन समाज ने 1760 में कराया था। इस स्वर्ण मंदिर (Swarn Mandir Gwalior) की खास बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण में लगभग एक क्विंटल से भी ज्यादा सोने का इस्तेमाल किया गया है। करीब 305 साल पुराने इस प्राचीन मंदिर में संवत 1212 की भगवान पार्शवनाथ की चमत्कारी प्रतिमा स्थापित है। यह चमत्कारी प्रतिमा दिन में तीन समय सुबह, दोपहर और शाम के समय अपना रूप बदलती है। पुजारियों का कहना है कि इस मंदिर में इस्तेमाल किया गया सोना बेहद शुद्ध क्वालिटी का है।

माणिक, नीलम और पन्ने को घिस कर बनाया था लाल, नीला और हरा रंग

ग्वालियर के इस अनूठे स्वर्ण मंदिर में वास्तु कला के साथ ही सोने की कलाकारी का अदभुत व अद्वितीय नमूना देखने को मिलता है। स्वर्ण मंदिर की दीवारों पर सोने को लाल, हरे व नीले रंग से बडी ही खूबसूरती से उकेरा गया है। मंदिर का निर्माण संवत 1761 में हुआ था, करीब 45 साल की मेहनत के बाद इस स्वर्ण मंदिर की स्थापना हुई थी। जिसमें लाल रंग को माणिक से नीले रंग को नीलम से व हरा रंग पन्ना घिसकर तैयार किया गया है। बेजोड़ नक्काशी और कलाकृति इस मंदिर में भव्य है, मंदिर में भगवान पार्शवनाथ की प्राचीन प्रतिमा के साथ ही कुल 163 देवी- देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

Golden Temple Gwalior

यहां भगवान जिनेन्द्र की होती है पूजा-अर्चना

मंदिर के दर्शन के लिए दूर- दूर से देशी व विदेशी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस मंदिर (Swarn Mandir Gwalior) की मान्यता है कि यहां पर दिल से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है। कई भक्त जन तो इस मंदिर में दर्शन के लिए बीस साल से आ रहे हैं। इस स्वर्ण मंदिर में जैन धर्म की आराधना- साधना की जाती है। सुबह से लेकर शाम तक धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान जिनेंद्र की पूजा आराधना होती है। यहां आने वाले भक्त भी भगवान की आराधना कर शांति का अनुभव करते हैं।

जल्द ही ऑनलाइन दर्शन भी कर सकेंगे श्रद्धालु

बहरहाल देश के इस दूसरे स्वर्ण मंदिर (Swarn Mandir Gwalior) को देश -विदेश में पहचान दिलाने के लिए मंदिर समिति न सिर्फ मंदिर समिति की वेबसाईट तैयार कर रही है। मंदिर समिति द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार श्रद्धालुओं के लिए स्वर्ण मंदिर के ऑॅनलाइन दर्शन कराने की तैयारियां भी चल रही हैं जिससे श्रद्धालुजन घर बैठे स्वर्ण मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।

(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

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