Khajuraho in MP: एमपी में खजुराहो है लोगों का सबसे फेवरेट डेस्टिनेशन, जानें यहां के मंदिरों का इतिहास

Khajuraho in MP: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो, हिंदू और जैन मंदिरों के आश्चर्यजनक समूह के लिए प्रसिद्ध है। चंदेल राजवंश द्वारा 9वीं और 11वीं शताब्दी के बीच निर्मित ये मंदिर (Khajuraho in MP) अपनी जटिल और...
khajuraho in mp  एमपी में खजुराहो है लोगों का सबसे फेवरेट डेस्टिनेशन  जानें यहां के मंदिरों का इतिहास

Khajuraho in MP: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो, हिंदू और जैन मंदिरों के आश्चर्यजनक समूह के लिए प्रसिद्ध है। चंदेल राजवंश द्वारा 9वीं और 11वीं शताब्दी के बीच निर्मित ये मंदिर (Khajuraho in MP) अपनी जटिल और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर और यहां की मूर्तियां जीवन, आध्यात्मिकता और मानवीय भावनाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। मध्य प्रदेश आने वाले टूरिस्टों के लिए खजुराहो सबसे फेवरेट डेस्टिनेशन है।

खजुराहो स्मारक समूह (Khajuraho in MP) एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी असाधारण कलात्मकता और स्थापत्य उत्कृष्टता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। मंदिरों की नक्काशी मध्ययुगीन भारतीय कला के शिखर का उदाहरण है और दुनिया भर से पर्यटकों और विद्वानों को आकर्षित करती है। भारत के दिल मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गंतव्य है।

खजुराहो के मंदिर

खजुराहो के मंदिरों का समूह उत्तरी भारतीय मंदिर कला और चंदेल राजवंश की वास्तुकला की पराकाष्ठा का प्रमाण देता है। चंदेल राजवंश ने 10वीं और 11वीं शताब्दी ईस्वी में इस क्षेत्र पर शासन किया था। कभी 20 वर्ग किमी में फैला हुआ यह क्षेत्र अब 6 वर्ग किमी क्षेत्र में सिकुड़ गया हुई। यहां वर्तमान में 23 मंदिर हैं। ये सभी मंदिर नागर शैली में बने हुए हैं। यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर कंदरिया महादेव मंदिर है।

Khajuraho in MPखजुराहो में कंदरिया महादेव मंदिर

खजुराहो (Khajuraho in MP) में कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो स्मारक समूह का सबसे बड़ा और सबसे भव्य मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 1030 ईस्वी के आसपास चंदेल राजवंश के दौरान किया गया था। यह मंदिर अपनी आश्चर्यजनक नागर शैली की वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर में लगभग 31 मीटर ऊंचा एक विशाल शिखर है। बाहरी और आंतरिक भाग देवी-देवताओं, दिव्य प्राणियों और कामुक दृश्यों को चित्रित करने वाली जटिल मूर्तियों से सजाए गए हैं। ये सभी उत्कृष्ट शिल्प कौशल का प्रदर्शन करते हैं। कंदरिया महादेव मंदिर मध्ययुगीन भारत की कलात्मक और स्थापत्य प्रतिभा का प्रतीक है, जो दुनिया भर के पर्यटकों और विद्वानों को आकर्षित करता है।

खजुराहो के प्रसिद्ध होने के मुख्य कारण

खजुराहो मध्य प्रदेश में एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो इतिहास, कला और वास्तुकला के अद्वितीय मिश्रण के लिए प्रसिद्ध है। यहां खजुराहो के बारे में पांच सबसे अच्छी बातें बताई गयी हैं।

मंदिर वास्तुकला- खजुराहो अपनी आश्चर्यजनक मंदिर वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ नागर शैली की वास्तुकला का मिश्रण प्रदर्शित करता है। 9वीं और 11वीं शताब्दी के बीच निर्मित ये मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार हैं जो उल्लेखनीय शिल्प कौशल और कलात्मक उत्कृष्टता का प्रदर्शन करते हैं।

Khajuraho in MPकामुक मूर्तियां- मंदिर अपनी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो प्रेम, जुनून और आध्यात्मिक विषयों सहित मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। ये नक्काशी कलात्मक और प्रतीकात्मक दोनों हैं, जो सांसारिक इच्छाओं और आध्यात्मिक आकांक्षाओं के बीच संतुलन का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह मूर्तियां भारतीय कला की उत्कृष्ट कृतियां मानी जाती हैं।

सांस्कृतिक महत्व- खजुराहो के मंदिर अत्यधिक सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, जो मध्यकालीन भारतीय कला के शिखर का प्रतिनिधित्व करते हैं। नक्काशी में पौराणिक कथाओं, इतिहास और रोजमर्रा की जिंदगी सहित विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है, जो उस समय के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश की झलक पेश करते हैं। देवताओं, संगीतकारों, नर्तकियों और आम लोगों के विस्तृत चित्रण प्राचीन भारतीय सभ्यता में समृद्ध अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

नैसर्गिक सौंदर्य और शांति- हरियाली और शांत परिदृश्य से घिरा खजुराहो शहर की हलचल भरी जिंदगी से एक शांत वातावरण प्रदान करता है। यहां के शानदार गार्डन घूमने के अनुभव को और शानदार बनाते हैं।

Khajuraho in MPखजुराहो तक कैसे पहुंचे

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो तक परिवहन के विभिन्न साधनों के माध्यम से आसानी से पहुंचना संभव है। खजुराहो के लिए दिल्ली और वाराणसी जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से सीधी उड़ानें हैं। हवाई अड्डा शहर के केंद्र से लगभग 5 किमी दूर है। वहीं खजुराहो रेलवे स्टेशन दिल्ली, झाँसी और वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। झाँसी जंक्शन से खजुराहो लगभग 175 किमी दूर है। सड़क द्वारा भी यहां आसानी से जाया जा सकता है। खजुराहो के लिए झाँसी (175 किमी), सतना (120 किमी), और भोपाल (375 किमी) जैसे शहरों से नियमित बस सेवाएं और टैक्सियां मिलती हैं। अच्छी सड़कें के माध्यम से खजुराहो तक आप कार ड्राइव कर के भी जा सकते हैं।

खजुराहो घूमने का सबसे अच्छा समय

खजुराहो की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, सर्दियों और शुरुआती वसंत महीनों के दौरान। इस अवधि में 10 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान के साथ सुखद मौसम होता है, जो इसे मंदिरों की खोज और बाहरी गतिविधियों के लिए आदर्श बनाता है। फरवरी में आयोजित खजुराहो नृत्य महोत्सव एक जरूर देखने लायक आयोजन होता है। गर्मियों के महीनों (अप्रैल से जून) से बचें क्योंकि तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ सकता है। मानसून के मौसम (जुलाई से सितंबर) में भी दिक्कत हो सकती है क्योंकि यहां भारी वर्षा होती है।

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