मध्य प्रदेशराजनीतिनेशनलअपराधकाम की बातहमारी जिंदगीधरम करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बातपढ़ाई-रोजगारदुनिया

Lung Cancer in Indians: पश्चिमी देशों की तुलना में नॉन-स्मोकर भारतीयों को पहले होता है लंग कैंसर, लांसेट में हुआ खुलासा

Lung Cancer in Indians: फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान न करने वाले भारतीयों को पश्चिमी लोगों की तुलना में पहले प्रभावित करता है। यह खुलासा मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक लेख से हुआ है। लेख के अनुसार, भारत में...
06:00 PM Jul 12, 2024 IST | Preeti Mishra

Lung Cancer in Indians: फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान न करने वाले भारतीयों को पश्चिमी लोगों की तुलना में पहले प्रभावित करता है। यह खुलासा मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक लेख से हुआ है। लेख के अनुसार, भारत में फेफड़े के कैंसर (Lung Cancer in Indians) का एक मरीज, पश्चिम के मरीज से करीब 10 साल छोटा होने की संभावना है। ये वो लोग हैं जो धूम्रपान से परहेज करते हैं। भारत में फेफड़े का कैंसर जीवनशैली से जुड़ा एक कारक है।

दुनिया में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली चिकित्सा पत्रिकाओं में से एक, द लांसेट में एशिया में फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer in Indians) के मामलों की एक विशेष समीक्षा में एक भारतीय मरीज की यह विशिष्ट, हालांकि अनोखी प्रोफ़ाइल सामने आई है। अध्ययनों से पता चला है कि फेफड़ों का कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में लगभग एक दशक पहले प्रकट होता है, जिसके पहचान की औसत आयु 54-70 वर्ष है।

धूम्रपान न करने वाले भारतीयों को पहले प्रभावित करता है फेफड़ों का कैंसर

मुख्य रूप से मुंबई में टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉक्टरों की एक टीम द्वारा लिखित, 'दक्षिणपूर्व एशिया में फेफड़ों के कैंसर की विशिष्टता' शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि फेफड़े का कैंसर तीसरा सबसे अधिक (18.5 लाख नए मामले या 7.8%)पाया जाने वाला कैंसर है । 2020 में इस क्षेत्र में यह कैंसर से होने वाली मृत्यु का सबसे आम कारण रहा जिससे 16.6 लाख या 10.9% मौतें होती हैं। संबंधित वैश्विक आंकड़े 22 लाख नए मामले (11.6%) हैं, जिससे 17 लाख मौतें (18%) हुईं। भारत में फेफड़ों के कैंसर के सालाना 72,510 मामले (5.8%) मामले सामने आते हैं और 66,279 मौतें (7.8%) होती हैं।

क्या कहता है अध्ययन?

अध्ययन में कहा गया है कि गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में वायु प्रदूषण (विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5), एस्बेस्टस, क्रोमियम, कैडमियम, आर्सेनिक और कोयले के साथ-साथ घर पर सेकेंड-हैंड धुआं शामिल है। आनुवांशिक संवेदनशीलता, हार्मोनल स्थिति और पहले से मौजूद फेफड़ों की बीमारी जैसे कारक भी धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर की बढ़ती घटनाओं में भूमिका निभा सकते हैं।

यहां फेफड़ों के कैंसर का अनुपात पश्चिम की तुलना में कम है। अमेरिका में फेफड़ों के कैंसर की घटना दर प्रति 1,000 पर 30 है, लेकिन भारत में यह प्रति 1,000 पर 6 है। हालांकि, हमारी विशाल आबादी को देखते हुए 6% भी रोगियों की एक बड़ी संख्या बन जाती है। भारत के फेफड़ों के कैंसर के बारे में एक और विशिष्टता टीबी के मरीजों का ज्यादा होना है।

यह भी पढ़ें: HIV in Tripura: त्रिपुरा में एड्स से 47 की मौत, 828 HIV पॉजिटिव, जानिए कैसे फैलता है एड्स, इसके लक्षण और रोकथाम

Tags :
Health NewsHealth News in hindiHealth News MPINDIALatest Health NewsLungLung CancerLung Cancer in IndiansMedicineNon Smoking Lung CancerThe LancetThe Lancet Studyक्या कहता है अध्ययनफेफड़ों का कैंसरभारत में फेफड़ों का कैंसर

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article