78th Independence Day: स्वतंत्रता दिवस पर मध्य प्रदेश की जेलों से रिहा हुए 177 कैदी, साथ में मिलेगा पैसा भी
78th Independence Day: जबलपुर। आज भारत अपना 78वीं स्वाधीनता दिवस मना रहा है। पूरे देश में इस उपलक्ष में अलग-अलग आयोजन किए जा रहे है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश की जेलों में सजा काट रहे 177 कैदियों को भी रिहा किया गया है। जबलपुर सेंट्रल जेल से भी 20 बंदियों की रिहाई की गई है। ये सभी अपराधी आजीवन कारावास या लंबी अवधि की कैद की सजा काट रहे ते।
15 अगस्त की सुबह लेकर आई कैदियों के लिए नया सूरज
जश्ने-आजादी (78th Independence Day) के मौके पर 177 कैदियों की रिहाई उनकी जिंदगी में नया बदलाव लेकर आएगी क्योंकि 14 सालों तक जेल की चार दिवारी में कैद रहने के बाद 15 अगस्त की सुबह उनकी जिंदगी में नया सूरज निकला है। ये सभी अपराधी हत्या जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में लंबे समय से जेल में बंद थे। जेल विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सतना जेल से सबसे ज्यादा 24 कैदियों को रिहा किया गया तो वहीं सबसे कम नरसिंहपुर जेल से 15, और भोपाल जेल से 15 कैदियों की रिहाई हुई है। इसके अलावा इंदौर जेल से 18, जबलपुर जेल से 20, ग्वालियर जेल से 16 और उज्जैन जेल से 19 कैदियों को रिहा किया गया।
सजा पूरी होने के पहले भी कैदी हो सकते हैं रिहा
केंद्र और राज्य सरकार ने जेल में बंद कैदियों की रिहाई के नियम बनाए हुए हैं। इन नियमों के तहत जिन कैदियों को उम्रकैद की सजा मिली है और वे जेल में बंद रहने के दौरान भी अपना आचरण ठीक रखते हैं, उन्हें उनकी सजा कंप्लीट होने से पहले माफी दी जा सकती है। इसी नियम के चलते आज मध्य प्रदेश राज्य में 177 कैदियों को रिहा किया गया है। जेल से रिहा होने वाले कैदियों का कहना था कि अपराध की घटना को लेकर हमें काफी पछतावा है और उसका पश्चाताप भी हमने कर लिया है। अब आगे जीवन में हम कभी भी, किसी भी तरह का कोई अन्य अपराध नहीं करेंगे।
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल के उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश के अनुसार जेल से बंदियों की रिहाई नियम में रेप, पोस्को एक्ट जैसे गंभीर और संवेदनशील अपराधों में सजा काट रहे कैदियों को स्वतंत्रता दिवस (78th Independence Day) की छूट का लाभ नहीं मिलता है। इसके अलावा मादक पदार्थों की तस्करी में सजा काट रहे बंदियों को भी इसका लाभ नहीं दिया जाता है।
अपनी मेहनत की कमाई भी साथ लेकर जाएंगे कैदी
जिन कैदियों को जेल से रिहा किया गया है, उनमें से बहुत से कैदियों ने वहां पर मेहनत-मजदूरी करके जो पैसा कमाया, उसे भी साथ लेकर जा रहे हैं। यहां जेल के अंदर रहते हुए कई कैदियों ने अलग-अलग तरह से काम भी किया। कुछ लोगों ने जेल के अंदर रहते हुए फर्नीचर की कारीगरी की तो किसी ने कटोरी, चम्मच आदि बर्तन बनाने का काम किया।
इस तरह उन्होंने जो भी पैसा कमाया, वह रिहाई के दौरान इन कैदियों को दिया गया है। अकेले इंदौर में रिहा हुए 15 कैदी को मजदूरी के रूप में करीब दो लाख रूपए मिले हैं। इनमें से एक कैदी ने अकेले 48 हजार रुपए की कमाई की है। उसने जेल के अंदर रहते हुए अलग-अलग तरह के फर्नीचर बनाए थे, इसी के चलते उसे इतना अधिक पैसा कमा लिया।
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