Corruption in Road Construction: बदहाल बमोरी! मंत्री ने कहा, "विकास पर करोड़ों खर्च हुए लेकिन बच्चों को स्कूल और गांव को सड़क तक नहीं मिली"
Corruption in Road Construction: गुना। राज्य सरकार प्रदेश में शिक्षा और सड़कों के विकास के लिए करोड़ों-अरबों का बजट खर्च कर रही है लेकिन मौके पर जाकर देखें तो जमीनी हकीकत की तस्वीरें (Corruption in Road Construction) कुछ और ही हालात बयां करती हैं। ऐसा ही कुछ हाल गुना जिले में बमोरी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्कूलों का है।
यहां 2020 में बनी बीजेपी सरकार के तत्कालीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा 22 हजार करोड़ के विकास कार्यों के दावे किए गए थे, लेकिन जब यहां पर जाकर देखा गया तो अलग ही हकीकत सामने आई। गुना जिले के ग्रामीण अंचलों में सरकारी प्राथमिक स्कूलों के हाल बेहाल हैं। बमोरी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्कूलों का हाल बेहाल है किसी स्कूल की बिल्डिंग जर्जर है, तो किसी स्कूल में आने-जाने के लिए बने हुए रास्ते खराब है, किसी जगह पर नदी पार करके बच्चे स्कूल जाते हैं, तो किसी जगह पर बच्चों को खेतों में भरे कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है।
पहला मामला
सबसे पहला मामला बमोरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत खैजराबाबा के ग्राम आमखेड़ा का है। यहां के शासकीय माध्यमिक, प्राथमिक विद्यालय आमखेड़ा के बच्चों को स्कूल के लिए आने-जाने में एक किलोमीटर का रास्ता कीचड़ और नदी से होकर गुजरना पड़ता है। पुलिया नहीं होने के कारण बच्चों के साथ अनहोनी होने का डर लगता है। यहां पहली से आठवीं कक्षा तक में पढ़ने वाले करीब 200 बच्चे इसी रास्ते से होकर जाते हैं।
दूसरा मामला
दूसरा मामला भी बमोरी विधानसभा क्षेत्र का है जहां खेरीखता पंचायत के बगलामार मोहल्ला में बच्चों को खेतों में भरे कीचड़ से होकर जाना होता है। बरसात के मौसम में बच्चे खेतों के कीचड़ से होकर स्कूल जाते हैं। बमोरी विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा विभाग से संबंधित कई मामले हैं जो इस क्षेत्र में किए गए सरकारी विकास के दावों की पोल खोलते हैं और सरकार के स्कूल चलो अभियान की हकीकत दर्शाते हैं।
तीसरा मामला
ये मामला भी बमौरी विधानसभा क्षेत्र के मोहनपुर खुर्द पंचायत का है। मोहनपुर खुर्द पंचायत में भील समाज के लोग रहते हैं। इस गांव के रास्ते से 3 अन्य गांव सनावनी, जामन्या डेरा और कुआ डेरा के बच्चे भी स्कूल आते हैं। भील आदिवासी समाज के बच्चों के लिए स्कूल जाने का रास्ता नहीं है। जब सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इनकी समस्या नही सुनी तो ये खुद ही रोड़ बना रहे हैं ताकि गांव के बच्चों को स्कूल आने-जाने में समस्या न हो।
चौथा मामला
बमोरी विधानसभा में बमोरी तहसील के लालोनी गांव के प्राइमरी और मिडिल स्कूल की बिल्डिंग्स जर्जर हो गई हैं, जिसमें बच्चों के बैठने की बिल्कुल व्यवस्था नहीं है। चारों तरफ से पानी ही पानी टपक रहा है और एक मिडिल स्कूल की बिल्डिंग तो गिरने बैठी है, उसकी छत के सरिए निकल रहे हैं। अगर भविष्य में इन स्कूल बिल्डिंग्स की वजह से हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। इस बारे में शिक्षकों का कहना है हमने दो-तीन बार शिकायत की परन्तु अभी तक कुछ नहीं हुआ है, अधिकारी आते हैं और देखकर चले जाते हैं।
इन चारों मामलों की वीडियो गांव के जागरूक लोगों ने बना कर भेजे हैं। इन वीडियोज में शिक्षा विभाग का जो आलम है और जिस परेशानी में बच्चे पढ़ रहे हैं, उसको दर्शाया गया है। गांव वालों का यही आग्रह है कि बच्चों के लिए सुविधाजनक रास्ता, स्कूल की बिल्डिंग और नदी पार करने के लिए पुलिया मिले।
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