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Bhopal Gas Tragedy: 5 मिनट में हो गई थी हजारों की मौत, कांग्रेस सरकार पर लगे थे गंभीर आरोप

आज से ठीक 40 वर्ष पूर्व भोपाल में आज ही के दिन 5 मिनट से भी कम समय में एक साथ हजारों लोगों की मौत की कहानी लिख दी गई थी।
03:12 PM Dec 03, 2024 IST | Sunil Sharma

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना है। आज से ठीक 40 वर्ष पूर्व आज ही के दिन 5 मिनट से भी कम समय में एक साथ हजारों लोगों की मौत की कहानी लिख दी गई थी। एमपी की राजधानी भोपाल में 2-3 दिसंबर की रात को यूनियन कार्बाइड के प्लांट में जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) का रिसाव हो गया था। इस दुर्घटना के कारण आज भी देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी आज भी भाजपा और सहयोगी दलों के निशाने पर रहते हैं।

क्या हुआ था भोपाल में उस काली रात

2-3 दिसंबर की रात को भोपाल के यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से अचानक ही मिसाइल आइसोसाइनेट का रिसाव होने लगा। हवा में गैस के बादल बनने लगे जो हवा के झोंकों के साथ एक जगह से दूसरी जगह बह रहे थे। जहां भी ये बादल पहुंच जाते वहीं लाशें गिरना शुरू हो जाती। बहुत से लोगों को तो समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या और वो मारे गए। सैंकड़ों लोगों को तो नींद में ही मौत ने दबोच लिया था।

महज 3 मिनट से भी कम टाइम में हो रही थी लोगों की मौत

बताया जाता है कि उस दिन करीब 40 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। यह इतनी घातक है कि आदमी को तीन मिनट से भी कम समय में मौत की नींद सुला देती है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने भी इसी गैस का प्रयोग यहूदियों को मारने के लिए किया था। भोपाल गैस रिसाव कांड (Bhopal Gas Tragedy) में कारखाने के आसपास रहने वाले झुग्गी-झौपड़ियों के लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। माना जा रहा है कि इस हादसे में शहर के करीब 25000 से अधिक लोग मारे गए थे।

पूरे शहर में बिखरी पड़ी थी लाशें

भोपाल का उस दिन यह हाल था कि जहां देखों आदमी और जानवरों की लाशें पड़ी हुई थी। पहले तो डॉक्टरों को समझ ही नहीं आया कि गैस रिसाव से पीड़ित लोगों को क्या इलाज दिया जाए। ऐसे में जबकि आदमी का ही इलाज नहीं हो पा रहा था तो जानवरों का कौन पूछता। हजारों जानवरों की लाशों को एकत्रित कर जमीन में दफनाया गया।

राजीव गांधी पर लगा Bhopal Gas Tragedy के मुख्य आरोपी को भगाने का आरोप

डाउ कंपनी की इस फैक्ट्री का कमान उस समय वॉरेन एंडरसन के हाथों में थी। यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में पहले भी कई हादसे (Bhopal Gas Tragedy) हो चुके थे लेकिन एंडरसन ने उन सभी को नजरअंदाज किया था। हादसे के तीन-चार दिन बाद एंडरसन भोपाल पहुंचा जहां एयरपोर्ट पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसे कोर्ट ने अपराधी मानते हुए सजा भी सुनाई थी। परन्तु बाद में तत्कालीन भोपाल कलेक्टर और एसपी ने उसे सरकारी कार से एयरपोर्ट पहुंचाया और उसी दिन शाम को एंडरसन दिल्ली से अमरीका के लिए रवाना हो गया।

अर्जुन सिंह ने कहा, गृह मंत्रालय के फोन पर छोड़ा गया था एंडरसन को

भोपाल गैस त्रासदी के समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे। उन्होंने बताया कि एंडरसन को जमानत देने के लिए उनके पास केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन आया था जिस पर उसे रिहा करते हुए दिल्ली जाने के इंतजाम किए गए थे। उस समय दिल्ली में कांग्रेस सरकार थी और माना जाता है कि एंडरसन को रिहा करने और देश से बाहर निकालने के पीछे राजीव गांधी का सीधा हाथ था। इसी वजह से आज भी भाजपा और उसके सहयोगी दल भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन को भगाने के लिए राजीव गांधी और कांग्रेस पर गाहे-बगाहे निशाना साधते हैं।

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