Union Carbide Waste: भोपाल से निकलेगा जहरीले कचरे का जिन्न, 1984 में जहरीली गैस ने ली थी हजारों की जान
Union Carbide Waste: भोपाल। भोपाल के यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा हॉलीवुड मूवी की तर्ज पर विशेष गाड़ियों और तकनीक से इंदौर के पीथमपुर ले जाया जाएगा। इस जहरीले कचरे के लिए गाड़ियों के आगे-पीछे कमांडो का काफिला होगा और कचरे को विशेष कंटेनरों में ले जाया जाएगा। कंटेनरों को ले जाने के लिए जीपीएस युक्त विशेष वाहन होंगे।
जलाया जाएगा कचरा
कचरे का निष्पादन पीथमपुर में रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज के इंसीनरेटर में होना है। बीते 4 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रक्रिया शुरू करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। इसको देखते हुए सरकार ने इसे जलाने की तैयारी कर ली है। प्रदूषण बोर्ड और गैस राहत विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है।
वेस्ट को 4 प्रकार में बांटा गया
वर्ष 2005 में रामकी इंडस्ट्रीज को प्लांट में फैले कचरे को इकट्ठा करने का टेंडर मिला था। तब 347 मैट्रिक टन जहरीला कचरे को प्लास्टिक बैग और लोहे के ड्रम्स में पैक कर गोदामों में भरा गया था तथा 10 टन कचरे को जलाया गया था। गैस राहत मंत्री कृष्णा गौर का कहना है कि पूरी प्रक्रिया हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही है। इसमें जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड (Union Carbide Waste) से निष्पादित हो जाएगा।
इस कचरे को ले जाने के लिए विशेष लीक प्रूफ कंटेनरों का इस्तेमाल होगा। टाइटेनियम से बने यह कंटेनर इतने मजबूत है कि आग अथवा अन्य किसी भी दुर्घटना में लीक नहीं होंगे। अगर कोई इन्हें खोलने का प्रयास करेगा तो यह लॉक हो जाएंगे। इस तरह ये पूरी तरह सुरक्षित होंगे।
पीएम के काफिले की तरह होगा कॉन्वॉय
इन कंटेनरों के लिए भोपाल से पीथमपुर के बीच ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। जिन वाहनों में इन कंटेनरों को ले जाया जाएगा, उनकी सुरक्षा पीएम के काफिले की तरह होगी। हर वाहन के साथ एक कॉन्वॉय होगा जिसमें फायर फाइटर, एंबुलेंस के साथ विशेष तकनीकी टीम होगी। काफिले में ट्रेंड सिक्योरिटी गार्ड्स की गाड़ियां भी होंगी। हर वाहन के आगे- पीछे विशेष सुरक्षा घेरा होगा। कचरे को ले जाने के लिए खास तौर पर बनाए गए विशेष लीक प्रूफ कंटेनरों का इस्तेमाल किया जाएगा।
हर परिस्थिति के लिए तैयार होगा प्लान बी
कचरे (Union Carbide Waste) के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान हर काम के लिए प्लान बी भी तैयार रहेगा। उदाहरण के तौर पर किसी गाड़ी में तकनीकी गड़बड़ी होती है, तो विकल्प क्या होगा। इसके साथ ही एक्सीडेंट, आग या और कोई हादसे से निपटने के लिए पूरा प्लान तैयार होगा। हर कंटेनर पर यूनिकोड, अलग सील और लेवल होंगे। ये टाइटेनियम के कंटेनर होंगे एक कंटेनर में करीब 30 टन आ जाएगा। इसमें जीपीएस भी होगा।
22 करोड़ की जगह खर्च होंगे 132 करोड़
40 साल से पड़े जहरीले कचरे के निष्पादन के लिए जर्मन कंपनी 18 साल पहले 22 करोड़ में रुपए मांग रही थी परंतु मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने मना कर दिया था। अब इसी जहरीले कचरे (Union Carbide Waste) के निष्पादन के लिए 132 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
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