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Bhopal News: एमपी के नेताओं ने दिल्ली में दिखाया दम, एग्जिट पोल से चेहरों पर खुशी

Bhopal News: भोपाल। दिल्ली में हुए चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे ने बीजेपी नेताओं के चेहरों को उमंग और खुशी से भर दिए।
09:40 PM Feb 06, 2025 IST | Pushpendra

Bhopal News: भोपाल। दिल्ली में हुए चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे ने बीजेपी नेताओं के चेहरों को उमंग और खुशी से भर दिए। खासतौर से एमपी के वे नेता जिनकी ड्यूटी दिल्ली चुनाव में लगाई गई थी। इन परिणामों से वे खुद के नंबर भी बढ़वा सकेंगे। महाराष्ट , हरियाणा और गुजरात में भी एमपी के नेताओं को परखा गया था।

एमपी के नेताओं ने संभाला था मोर्चा

महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनावों में एमपी के नेताओं ने जिस तरह से मोर्चा संभाला था। उसी को देखते हुए दिल्ली की प्रतिष्ठा वाली लड़ाई में प्रदेश के नेताओं का पार्टी ने जमकर उपयोग किया। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने एमपी के नेताओं की ड्यूटी लगाई। भाजपा को लग रहा था कि जिस तरह से आप नेताओं के खिलाफ माहौल बनाया गया, उसका फायदा बीजेपी को दिल्ली चुनाव में मिलने वाला है।

गली-गली में घूमकर जनता को मनाया

पार्टी के 20 से ज्यादा विस्तारक पिछले 1 साल से दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। इन विस्तारकों ने 6 महीने दिल्ली की एक-एक गली घूम कर दिल्ली के दिलवालों का मन जाना और उम्मीदवारों के चयन से लेकर पूरे चुनावी अभियान में इन विस्तारको ने अहम भूमिका निभाई। भाजपा और संघ ने इन विस्तारकों से फीडबैक लेकर चुनावी रणनीति बनाई। यही रणनीति महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी ने अपनाई थी। जिसके बीजेपी को सुखद नतीजे मिले।

एमपी के सीएम सहित पूर्व गृह मंत्री नरोतम मिश्रा को दिल्ली दक्षिण की जिम्मेदारी दी गई। यहां की एक दर्जन से ज्यादा विधानसभाओं की जिम्मेदारी नरोत्तम मिश्रा ने संभाली। इनकी चुनावी कमान ने महाराष्ट्र में भी अच्छे परिणाम दिलाए। खासतौर से वे सीट जहां नरोतम को जिम्मेदारी मिली थी।

कांग्रेस ने भी एमपी नेताओं को बुलाया दिल्ली

कांग्रेस को भले ही एग्जिट पोल निराशा जनक लग रहे हों लेकिन उसने भी एमपी नेताओं को दिल्ली चुनाव में भेजा। पूर्व मंत्री प्रदेश कांग्रेस संगठन के उपाध्यक्ष प्रियव्रत सिंह भी दिल्ली में सक्रिय रहे। वे पिछले महीने दिल्ली में रहे और चुनाव खत्म कराकर ही भोपाल लौटे। पिछले चुनाव के मुकाबले दिल्ली में इस बात परिस्थितियों बदली हुई रहीं। आप पार्टी के अधिकांश नेता विवादों में रहे हैं, जिससे उनकी जमावट प्रभावित हुई है। जबकि, भाजपा लगातार बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैयार करने में जुटी रही। दिल्ली के चुनाव में प्रदेश के नेता दिल्ली पहुंचे और पूरी दम-खम के साथ चुनावी कमान संभाली।

शिवराज सिंह भी रहे मैदान में

प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों को दिल्ली भेजा गया। शिवराज सिंह को भी चुनावी मैदान में भेजा गया, जहां उन्होंने अपनी वही सोशल इंजीनियरिंग यहां के चुनावों में अपनाई। आप पार्टी ने जहां स्थानीय नेताओं के भरोसे चुनाव लड़ा तो वहीं भाजपा और कांग्रेस ने अन्य राज्यों के साथ-साथ मध्यप्रदेश के नेताओं को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर चुनावी मैदान में उतारा।

(भोपाल से सरस्वती चंद्र की रिपोर्ट)

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