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भोपाल जिले में पराली जलाने वालों की खैर नहीं, कलेक्टर ने जारी किए सख्त निर्देश, होगी सख्त कार्रवाई

Bhopal Stubble Burning Ban भोपाल: मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए भोपाल जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। भोपाल के आस-पास पराली जलाने की घटनाएं (Ban on Stubble Burning in Bhopal District) लगातार सामने आ...
09:59 AM Nov 22, 2024 IST | Amit Jha

Bhopal Stubble Burning Ban भोपाल: मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए भोपाल जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। भोपाल के आस-पास पराली जलाने की घटनाएं (Ban on Stubble Burning in Bhopal District) लगातार सामने आ रही हैं, जिसके चलते आस-पास की हवा प्रदूषित हो गई हैं। ऐसे में राजधानी भोपाल में AQI (Air Quality Index) के बढ़ते स्तर को देखते हुए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार भोपाल जिले में पराली जलाने वालों के खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई की जाएगी।

भोपाल जिले में पराली जलाना पड़ेगा महंगा

बता दें कि, भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह (Bhopal Collector Kaushlendra Vikram Singh) ने गुरुवार (21 नवंबर) देर रात पराली जलाने को लेकर आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार भोपाल जिले में अगले 2 महीने तक पराली जलाने पर प्रतिबंध है। ऐसे में अगर कोई इसका उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ संबंधित थाने में FIR दर्ज की जाएगी। आदेश के अनुसार पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी होनेवाली है। इसके साथ ही कलेक्टर ने एसडीएम को पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

कलेक्टर ने जारी किया आदेश

भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा जारी आदेश (Ban on Stubble Burning) में लिखा गया है, "पराली में आग लगाना कृषि के लिए नुकसानदायक के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है।  खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जन संपत्ति एवं प्राकृतिक वनस्पति, जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं, जिससे काफी नुकसान होता है। इससे खेत की मिट्‌टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है और उत्पादन भी प्रभावित होता है। खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल आदि सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं। ऐसे में इन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करना है। इसके साथ ही कृषकों के पास वैकल्पिक सुविधा भी उपलब्ध है जो जनहित में है। किसान वैकल्पिक सुविधा का इस्तेमाल करें।"

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