Burhanpur City News: यहां आज भी माता-पिता गर्भावस्था में ही कर देते हैं बच्चों का रिश्ता

आज भी हमारे देश में शादी-ब्याह के मामलों में कई ऐसी अनोखी परंपराओं को निभाया जाता है जिन्हें सुनने के बाद पहली बार में शायद ही किसी को विश्वास हो।
burhanpur city news  यहां आज भी माता पिता गर्भावस्था में ही कर देते हैं बच्चों का रिश्ता

Burhanpur City News: बुरहानपुर। आज भी हमारे देश में शादी-ब्याह के मामलों में कई ऐसी अनोखी परंपराओं को निभाया जाता है जिन्हें सुनने के बाद पहली बार में शायद ही किसी को विश्वास हो। उदाहरण के लिए आज के आधुनिक युग में यदि कोई आपसे कहे कि किसी समाज में आज भी सैकड़ों साल पुरानी परंपरा निभाते हुए गर्भावस्था के दौरान ही वैवाहिक रिश्ते तय हो जाते हैं तो क्या आप विश्वास करेंगे। निश्चित रूप से इस पर विश्वास करना कठिन जरूर है, लेकिन यह बात सौ फीसदी सच है। दरअसल, मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के भोलाना गांव में धनगर समाज के लोग सैकड़ों साल पुरानी इस परंपरा को कई पीढ़ियों से निभाते आ रहे हैं।

गर्भावस्था में ही तय हो जाता है बच्चों का रिश्ता

धनगर समाज के पूर्वज तो चल बसे लेकिन उनके समय से प्रचलित परंपरा आज भी जीवित है। भोलाना गांव में धनगर समाज के 700 परिवार रहते हैं। पूरे गांव में इसी समाज की आबादी होने की वजह से आज भी इस गांव में गर्भावस्था के दौरान ही दो मित्र, रिश्तेदार अथवा पड़ोसी इस बात का वादा करते हैं कि यदि उनके घरों में विपरीत लिंग के बच्चे जन्म लेंगे तो वयस्क यानी बालिग होने पर उन्हें विवाह के बंधन में बांध दिया जाएगा। वे पूरे रीति-रिवाजों एवं धूमधाम के साथ उनकी शादी कराते हैं। वर्तमान में भी ऐसे कई जोड़ों की शादी कराई भी जा चुकी है, हालांकि अब कई परिवारों ने इस परंपरा (Burhanpur City News) को त्याग दिया है।

Burhanpur City News Dhangar Samaj

आर्थिक रूप से समृद्धि हैं धनगर समाज के लोग

बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर ग्राम पंचायत पातोंडा क्षेत्र के भोलाना गांव में एक समाज ऐसा है, जो गुजरी पीढ़ियों की परंपरा को निभा रहा है। उनके लिए गर्भावस्था के दौरान दिया गया वचन सबसे महत्वपूर्ण और पावन होता है। ज्ञात हो कि धनगर समाज मूलत: पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की जाति है, लेकिन कुछ परिवार सैकड़ों साल पहले बुरहानपुर आ गए थे और जिला मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर भोलाना सहित अन्य गांवों में बस गए हैं। तब उनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। यहां पर उन्होंने धीरे-धीरे भेड़, बकरी और गोपालन के बाद खेती-बाड़ी को अपनाया, जिसके चलते वर्तमान में अधिकांश परिवार आर्थिक रूप से बेहद संपन्न हो गए हैं। वे अकेले भेड़ बेच कर ही सालाना लाखों रुपये कमाते हैं।

क्या बोले अपर कलेक्टर

अपर कलेक्टर वीर सिंह चौहान ने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन ने पंचायत स्तर पर समितियां बना रखी हैं। इन समितियों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सचिव, जीआरएस को शामिल किया है। यदि कोई बाल विवाह कराता है तो नियुक्त सदस्य प्रशासन को सूचित करते हैं। इसके बाद तुरंत बाल विवाह रोक देते हैं, ग्रामीणों में जागरूकता (Burhanpur City News) लाने के लिए अभियान चलाते हैं, इस अभियान के दीवार लेखन सहित विभिन्न प्रकार से प्रचार प्रसार किया जाता है।

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