Burhanpur City News: केले के रेशों से इको फ्रेंडली झूले बनाकर महिलाएं हुईं मालामाल

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में केले की फसल लगाकर जहां एक तरफ किसान मालामाल हो गए हैं, वही दूसरी तरफ केले के वेस्टेज यानी उसके तने से घरेलू उपयोग की वस्तुओं का निर्माण कर मोटी इनकम भी कमाई जा रही है।
burhanpur city news  केले के रेशों से इको फ्रेंडली झूले बनाकर महिलाएं हुईं मालामाल

Burhanpur City News: बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में केले की फसल लगाकर जहां एक तरफ किसान मालामाल हो गए हैं, वही दूसरी तरफ केले के वेस्टेज यानी उसके तने से घरेलू उपयोग की वस्तुओं का निर्माण कर मोटी इनकम भी कमाई जा रही है। जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने केले के रेशों से आकर्षक इको फ्रेंडली झूले तैयार किए हैं।

मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में मंगाए गए हैं 50 झूले

केले के रेशों से तैयार इन झूलों की मार्केट में बहुत डिमांड है। समूह ने 50 झूले तैयार कर मथुरा के विश्वप्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर पहुंचाया है । दरअसल मंदिर के पुरोहित के विशेष आग्रह पर ताप्ती महिमा आजीविका संगठन की अध्यक्ष खुशबू तिवारी ने 50 झूले मथुरा पहुंचाए हैं। यह झूले केले के पेड़ों से निकाले गए रेशों से तैयार किए गए हैं। यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली है, इसके अलावा इसमें किसी भी तरह की लागत नही लगी है, यह पूरी तरह मुफ्त बने हैं। खास बात यह है कि इसमें समूह की महिलाओं की हाड़तोड़ मेहनत लगी है।

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ऐसे बनते हैं केले के रेशों से झूले

इन झूलों को तैयार करने के लिए केले के पौधों को काटकर उन्हें सुखाया जाता है। इसके बाद हाथ से रेशे निकाले जाते हैं, उन रेशों को सुखाकर अलग-अलग आकार में काट कर उपयोग में लेते है। कटिंग के बाद उनसे झूले बनाए जाते हैं। दिखने में आकर्षक और वातावरण के लिए अनुकूल इन इको फ्रेंडली झूलों को स्थानीय लोगों सहित मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों ने खूब पसंद किया है। अब समूह (Burhanpur City News) के पास मथुरा के दुकानदारों ने ज्यादा से ज्यादा झूलों का आर्डर दिया है।

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बुरहानपुर के छोटे से गांव की स्व सहायता समूह की महिलाओं ने किए हैं तैयार

बुरहानपुर (Burhanpur City News) जिले के छोटे से गांव फतेहपुर में ताप्ती महिमा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने केले के रेशों से आकर्षक झूले तैयार किए हैं। यहां बनाए गए झूले अब देशभर में लोगों के घरों में मौजूद देवस्थानों की शोभा बढ़ा रहे हैं। दरअसल हाल ही में बांके बिहारी मंदिर के पुरोहित के आग्रह के बाद बुरहानपुर से 50 झूले पहुंचाए जा चुके हैं। समूह की अध्यक्ष का कहना है कि इन झूलों को बनाने में जीरो इन्वेस्टमेंट लगता है, जबकि महिलाओं को 300 रुपये प्रति झूला मेहनताना दिया जाता है। इस काम में आसपास के गांवों की 100 से ज्यादा महिलाएं लगी है।

Swayam Sahayata Samuh

श्रीकृष्ण को लगता है केले के पत्तों का आसन

बांके बिहारी मंदिर के अलावा इन झूलों को अलावा आगरा के ताज महल में भी पहुंचाया गया है। पुजारियों के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण को केले के पत्तों का आसन दिया जाता है, जिसके चलते केले के रेशों से तैयार झूलों की मांग बढ़ गई है। खास बात यह है कि इन झूलों में केले के वृक्ष के रेशों को निकालकर बनाया है। महिलाएं इन केले के वृक्ष से रेशों अलग करते है, उन रेशों को सुखाकर अलग अलग आकार में काट कर उपयोग में लेते है। बुरहानपुर (Burhanpur City News) जिले की महिलाएं अब इसी प्रकार अपनी आर्थिक समृद्धि का रास्ता बना रही हैं।

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