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Burhanpur News: गर्भवती और मरीजों को खटिया पर रखकर रास्ता पार करा रहे ग्रामीण, बेसिक सुविधाओं से वंचित इस गांव की दुर्दशा पर नहीं शासन-प्रशासन का ध्यान

Burhanpur News: बुरहानपुर। देश और प्रदेश डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इस देश में कई गांव अभी भी सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस बात पर किसी...
10:44 PM Aug 07, 2024 IST | MP First

Burhanpur News: बुरहानपुर। देश और प्रदेश डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इस देश में कई गांव अभी भी सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस बात पर किसी को भी यकीन नहीं होगा लेकिन मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर घावटी गांव इसका जीता जागता उदाहरण है। बरसात में इस गांव तक पहुंचने वाला करीब 5 किलोमीटर का कच्चा मार्ग पूरी तरह कीचड़ से सन जाता है।

इसके चलते तीन महीने तक इस गांव के 100 से ज्यादा बच्चे शिक्षा से दूर हो जाते हैं। पढ़ाई से कट जाने के बाद कई बच्चे स्कूल जाना ही छोड़ देते हैं तो कई बच्चों की पढ़ाई अधूरी होने की वजह से फेल हो जाते हैं और वे स्कूल जाना छोड़ देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि (Burhanpur News) नेता केवल चुनाव के समय वोट की अपील करने गांव पहुंचते हैं। इसके बाद ना ही सरकार और ना ही कोई जनप्रतिनिधि इनकी सुध लेने यहां आता है। यही वजह है कि अब तक इस गांव की सड़क की तस्वीर नहीं बदली है। ग्रामीणों ने मोहन सरकार से सड़क बनाने की गुहार लगाई है।

बेसिक सुविधाओं के लिए हो रहे परेशान

आदिवासी बहुल इस गांव की स्थिति यह है कि यहां के करीब 100 परिवारों को ना तो बिजली की सुविधा मिल पाई है और ना ही शुद्ध पेयजल। गांव में ना तो स्कूल है और ना ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कोई प्रबंध है। ग्रामीणों का कहना है कि नेता और अफसर या तो चुनाव के समय गांव आते हैं या फिर किसी सरकारी कार्यक्रम के समय उनके दर्शन होते हैं। इसके बाद में वे पलट कर कभी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचते। कुल मिलाकर अफसर और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही ने इस गांव को देश और दुनिया से अलग-थलग सा कर दिया है।

मरीजों को खटिया या झोली बनाकर रास्ता कराते पार

बता दें कि बरसात के मौसम में ग्रामीणों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। इन दिनों यदि कोई गर्भवती महिला या बीमार मरीज को अस्पताल ले जाना पड़ता है तो उसे कपड़े की झोली बनाकर या खटिया के सहारे मुख्य रास्ते तक पहुंचाना पड़ता है। रास्ते के हालात यह हैं कि बैलगाड़ी, मोटर साइकिल तो दूर पैदल चलना भी मुश्किलों है। बुजुर्ग पैदल चलते-चलते थककर जगह-जगह बैठ जाते हैं।

लोगों में सिस्टम के खिलाफ काफी नाराजगी है। ऐसा नहीं है कि इन ग्रामीणों ने अपनी आवाज बुलंद नहीं की। उन्होंने कई बार असफ़रों और जनप्रतिनिधियों से निवेदन किया लेकिन उन्हें केवल सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। अब इन्हें पक्की सड़क तो दूर कीचड़ से निजात दिलाने तक की किसी ने जहमत नहीं उठाई। फिलहाल, देखना होगा कि सरकार इन गांवों की आवाज को सुन पाती है या फिर उन्हें करना होगा सिर्फ इंताजार...!

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