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Burhanpur Teacher Village: इस शख्स के कदम पड़ने से बदल गई बंभाड़ा गांव की सूरत, जानें 400 शिक्षकों वाले गांव की पूरी कहानी

Burhanpur Teacher Village: बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक गांव ऐसा है जिसे शिक्षकों वाला गांव कहा जाता है। दरअसल, 70 के दशक में इस गांव में शिक्षा के प्रति रूचि और शिक्षक बनने का जो चलन शुरू...
06:23 PM Sep 05, 2024 IST | MP First

Burhanpur Teacher Village: बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक गांव ऐसा है जिसे शिक्षकों वाला गांव कहा जाता है। दरअसल, 70 के दशक में इस गांव में शिक्षा के प्रति रूचि और शिक्षक बनने का जो चलन शुरू हुआ वो आज भी निरंतर जारी है। सरकारी व निजी शालाओं में इस गांव के 400 शिक्षक समाज में शिक्षा का उजियारा फैला रहे है। इस गांव का नाम बंभाड़ा हैं, जो बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर है।

हर तीसरे घर में शिक्षक

बुरहानपुर के बंभाड़ा गांव में 1200 परिवार निवास करते हैं। कहा जाता है कि इस इस गांव में हर तीसरे घर से कोई न कोई शख्स शिक्षक हैं। इतना ही नहीं बंभाड़ा गांव में बेटा-बेटियों सहित बहुओं में भी कोई भेद नहीं है। परिवार के लोगों ने बहुओं को भी पढा-लिखा कर शिक्षक के मुकाम पर पहुंचाया है। दरअसल, विद्यार्थियों के भविष्य को उज्जवल बनाने वाले गुरु का सम्मान तो सभी करते हैं लेकिन बंभाड़ा गांव के विद्यार्थी कड़ी मेहनत से स्वयं शिक्षक बने हैं।

इन्होंने अपने गुरुजनों को अनूठी गुरु दक्षिणा दी है। मौजूदा समय में इस गांव से 400 शिक्षक हैं जो न सिर्फ देश के सरकारी स्कूलों में बल्कि विदेश के निजी स्कूल में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। सेवानिवृत्त शिक्षक एलडी महाजन और द्रोपदा महाजन का बड़ा बेटा प्रमोद महाजन दुबई के एक निजी स्कूल में प्राचार्य के रूप में सेवा देकर देश व गांव का मान बढ़ा रहे हैं।

बहुओं को भी पढ़ाकर आगे बढ़ा रहे

बता दें कि इस गांव में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने बहुओं को पढ़ा लिखाकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है। इसमें शिक्षक स्व.प्रहलाद पाटिल, स्व. खेमचंद चौधरी, पीबी चौधरी और आरटी चौधरी जैसे लोग शामिल हैं। दिवंगत प्रहलाद पाटिल ने अपने बड़े बेटे अमर पाटिल, बहु ज्योति अमर पाटिल और वैशाली पाटिल को भी पढ़ा लिखा कर शिक्षक बनाया। इसी प्रकार खेमचंद चौधरी ने अपनी बहू स्वाति चौधरी को सरकारी शिक्षक तो पीबी चौधरी और आरटी चौधरी ने भी अपने बेटे सुनील व शशिकांत को शिक्षक बनाया।

इस व्यक्ति ने बदल दी गांव की स्थिति

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सन 1975 तक बंभाड़ा अशिक्षा, बेरोजगारी और विकास जैसी मूलभूत सुविधाओं से अछूता था। लेकिन, उस समय एस.के बांगड़े के कदम बंभाड़ा गांव में पड़े और उन्होंने न सिर्फ गांव के लोगों को शिक्षित किया बल्कि उन्हें बेहतर संसाधन भी उपलब्ध कराए। तब से गांव में निरंतर शिक्षा का उजियारा फैला है। वर्तमान में गांव का शायद ही कोई शख्स होगा जो उच्च शिक्षित नहीं हो। यही वजह है कि इस गांव को शिक्षक वाला गांव कहा जाता है।

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