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Chhatrasal Bundelkhand University: भारतीय इतिहास पर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का बड़ा बयान

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि देश में एक ऐसी विचारधारा है जिसने इस देश की सभ्यता को, इस देश की अच्छाईयों को, इस संस्कृति को हमेशा से ही बदनाम करने की कोशिश की है।
04:35 PM Feb 02, 2025 IST | Sunil Sharma

Chhatrasal Bundelkhand University: छतरपुर। छतरपुर के महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (MCBU) में राज्यपाल मंगूभाई पटेल की अध्यक्षता में चौथा दीक्षांत समारोह विश्विद्यालय परिसर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी सारस्वत अतिथि के रूप में और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान, सरस्वती वंदना और कुलगान से हुई। कुलपति प्रो. शुभा तिवारी ने स्वागत भाषण के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर 127 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं, जिनमें से सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 38 मेधावी छात्र-छात्राओं को राज्यपाल के हाथों स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

राज्यपाल ने छात्रों को दी सकारात्मक सोच रखने की सलाह

कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी को विशेष उपलब्धि के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय (Chhatrasal Bundelkhand University) की पत्रिका 'दीक्षावाणी' और न्यूजलेटर 'छत्रछाया' का विमोचन भी किया गया। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने अपने संबोधन में छात्रों को महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि एक परीक्षा में खराब प्रदर्शन जीवन का अंत नहीं है। उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता का जिक्र करते हुए छात्रों को आत्मघाती कदम न उठाने की सलाह दी और माता-पिता के त्याग व बलिदान को याद रखने का आह्वान किया।

कुंभ में मची भगदड़ पर मंत्री इंदर सिंह परमार का बडा बयान

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कुंभ में मची भगदड़ और विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हूए कहा कि देश में एक ऐसी विचारधारा है जिसने इस देश की सभ्यता को, इस देश की अच्छाईयों को, इस संस्कृति को हमेशा से ही बदनाम करने की कोशिश की है। यह आज से नहीं, बल्कि मुगलों के आक्रमण से लेकर अंग्रेजों के राज करने तक, इस देश के इतिहास को, इस देश के ज्ञान को कभी पाठ्यक्रम (Chhatrasal Bundelkhand University) में पढ़ाने की कोशिश नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कभी महाराज छत्रसाल और महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं के शौर्य और पराक्रम को स्कूल, कॉलेजों में पढाने की कोशिश नहीं की गई।

(छतरपुर से हिमांशु अग्रवाल की रिपोर्ट)

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