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CM Visit Cyber Headquarter: अचानक साइबर मुख्यालय पहुंचे सीएम, अधिकारियों से पूछा ऑनलाइन ठगी इतनी क्यों बढ़ रही है?

CM Visit Cyber Headquarter: सीएम ने साइबर ऑफिस पहुंचकर पुलिस की पीठ थपथपाई। सीएम ने डिजिटल अरेस्ट के बारे में भी पुलिस से पूछताछ की।
06:46 PM Nov 12, 2024 IST | Saraswati Chandra

CM Visit Cyber Headquarter: भोपाल। एमपी की राजधानी भोपाल में ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक मामले में भोपाल पुलिस ने कमाल कर दिया जिसकी शाबाशी देने मुख्यमंत्री मोहन यादव साइबर ऑफिस पहुंचे और पुलिस की पीठ थपथपाई। राजधानी भोपाल में डिजिटल अरेस्ट के एक मामले में साइबर पुलिस टीम ऑनलाइन ठगों से भिड़ गई और दुबई के एक कारोबारी को बचा लिया। यह मामला सुर्खियों में आ गया और सीएम मोहन यादव अचानक साइबर पुलिस मुख्यालय पहुंचे और पुलिस अफसरों से मुलाकात की।

साइबर अपराधों को लेकर चर्चा

सीएम ने साइबर अपराधों को लेकर अधिकारियों से लंबी चर्चा की और निर्देश दिए कि इस तरह के अपराधों को इसी तरह की आक्रामकता की जरूरत है। लोगों को जागरूक भी करना होगा। सीएम ने कहा प्रदेश के हर थाने में साइबर डेस्क होगी। मध्य प्रदेश में साइबर जागरूकता अभियान व्यापाक स्तर पर चलाया जाएगा। दअरसल, डिजिटल अरेस्ट को लेकर साइबर पुलिस की कार्रवाई पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जमकर तारीफ की। सीएम ने कहा मध्य प्रदेश में साइबर अपराध को रोकने के लिए पुलिस सचेत है।

साथ ही एमपी पुलिस साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं, सीएम ने फिर दोहराया कि प्रदेश के थानों में साइबर डेस्क तैनात की जाएगी। इससे लोगों को मदद मिल सके। इस दौरान सीएम मोहन यादव ने कहा कि बीते दिनों दुबई के कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट किया गया था। पुलिस की टीम ने तत्कालीन मौके पर पहुंचकर पूछताछ की ओर हिम्मत तो देखो वह हमारी असली पुलिस से आइडेंटिटी मांग रहे थे। बाद में वह वीडियो कॉलिंग छोड़ कर भाग गए। ठगी का शिकार होने से बचे विवेक ओबेरॉय से सीएम ने भी फोन पर चर्चा की।

भोपाल में व्यापारी के साथ डिजिटल अरेस्ट

अरेरा कॉलोनी के रहने वाले 68 साल के कारोबारी विवेक ओबरॉय का दुबई में कारोबार है। वे अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ दुबई में ही निवास करते हैं। वे दीपावली पर भोपाल आए हैं। शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे उनके पास किसी ने फोन करके खुद को ट्राइ लीगल सेल का अधिकारी बताया। विवेक ने फोन किया तो संबंधित व्यक्ति ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का सब इंस्पेक्टर विक्रम सिंह बताया।

उसने विवेक को उनके आधार कार्ड से दर्जनों सिम खरीदने की जानकारी दी और बताया कि इन नंबरों से केरल, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बैंक खाते खुले हैं और इनसे करोड़ों रुपए की मनी लांड्रिंग हुई। यह सुनकर विवेक घबरा गए। वह कुछ सोच पाते इससे पहले ही फर्जी एसआई विक्रम ने उन्हें सीबीआई अधिकारी से बात करने के निर्देश दिए। फिर विवेक से किसी अन्य ठग ने सीबीआई का अधिकारी बनकर बात की और मनी लांड्रिंग समेत कई मामलों में शामिल होना बताया।

इस तरह उठा था पर्दा

शाम को विवेक के पड़ोसी मित्र उनसे मिलने पहुंचे तो पत्नी ने पूछताछ की बात बताई। कमरे के बाहर आवाज सुनी तो शक हुआ और उन्होंने राज्य साइबर क्राइम सेल के एडीजी योगेश देशमुख को फोन कर डिजिटल अरेस्ट की शंका जाहिर की। इसके बाद तत्काल दो पुलिसकर्मी पहुंचे। विवेक ने दरवाजा खोला तो ठगों ने मौके पर पहुंचे पुलिकर्मियों को ही नकली पुलिस बता दिया। हालांकि, बाद में विवेक असली-नकली समझ गए और मामले का पर्दाफाश हुआ।

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