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Ardhanarishwar Jyotirlinga Temple: इस मंदिर में दैत्य गुरू शुक्राचार्य को शिव-पार्वती ने दिए थे अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन, सावन सोमवार पर उमड़ती है भक्तों की भीड़

Ardhanarishwar Jyotirlinga Temple: धर्म। भारत सहित कई देशों में सावन सोमवार पूरे धूमधाम और उत्‍साह के साथ मनाया जा रहा है। सावन लगते ही शिवायल में भक्तों की भीड़ लगने लगती है। भोलेनाथ को मनाने के लिए हर घर में...
05:17 PM Aug 11, 2024 IST | MP First

Ardhanarishwar Jyotirlinga Temple: धर्म। भारत सहित कई देशों में सावन सोमवार पूरे धूमधाम और उत्‍साह के साथ मनाया जा रहा है। सावन लगते ही शिवायल में भक्तों की भीड़ लगने लगती है। भोलेनाथ को मनाने के लिए हर घर में मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा की जाती है। हर मंदिर में सिर्फ ओम नम: शिवाय की गूंज सुनाई लगती है। ऐसे में भक्तों के लिए पांढुर्णा जिले के सौसर तहसील के मोहगांव हवेली में भगवान शिव का एक मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

यहां सुबह से ही शिव भक्‍तों की भीड़ दर्शन करने के लिए उमड़ी है। शिव भक्तों का मानना हैं कि सृष्टि निर्माण के बाद शून्यकाल में सर्वप्रथम अर्धनारीश्वर स्वरुप भगवान शिव एवं शक्ति ने सृष्टि संचालन प्रतीक नर और नारी के सम्‍मिलित रूप अर्थात अर्धनारीश्वर स्वरुप ज्योतिर्लिंग की स्थापना पृथ्वी के मध्य भाग में की थी। यह स्थान मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नागपुर से 70 किमी दूर पांढुर्ना जिले के सौंसर तहसील से 6 किमी पर स्थित मोहगांव हवेली नगर का अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग है।

दैत्य गुरु शुक्राचार्य को दिए थे दर्शन

भगवान शिव का प्रसिद्ध अर्धनारीश्वर मंदिर कई पुरानी कथाओं को लेकर चर्चा और दिव्यता के लिए विख्यात है। अर्धनारीश्वर मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यताओं के आधार पर यहां के पंडित जी ने बताया कि जब दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने भगवान शिव की आराधना की थी, तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर शुक्राचार्य को दर्शन दिए थे। इस मौके पर दैत्य गुरु ने भगवान से इच्छा जाहिर की कि वे शिव और शक्ति को एक रूप में देखना चाहते हैं।

इसके बाद दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने भोलेनाथ की कठोर तपस्या की, जिससे खुश होकर भगवान शंकर ने अर्धनारीश्वर रूप में शुक्राचार्य को दर्शन दिए थे। वहीं, बताया जाता है कि जो शिवलिंग मंदिर में स्थित है वह स्वनिर्मित है। इस शिवलिंग की यह विशेषता है कि यह दो अलग-अलग पत्थरों से मिलकर बना हुआ दिखाई देता है।

महामृत्युंजय मंत्र पर आधारित है मंदिर की संरचना

पूर्व अध्यक्ष गोपाल वंजारी ने बताया कि इस मंदिर की संरचना विशेष रूप से बनाई गई है। वास्तु शास्त्र की बात की जाए तो इस मंदिर में चारों धाम के चार द्वार भी बने हुए हैं। यह मंदिर सरपा नदी के तट पर स्थित है, जो चारों दिशा में सर्प आकार रूप में निकलती है। पंडित जी ने बताया कि यह अर्धनारीश्वर मंदिर, ज्योतिर्लिंग से भी पुराना है। अर्धनारीश्वर मंदिर के पंडित नारायण जी ने बताया कि यह मंदिर सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे पुराना ज्योतिर्लिंग है। देश के सभी ज्योतिर्लिंग लगभग 1600 शताब्दी के हैं लेकिन यह ज्योतिर्लिंग 1400 शताब्दी का है। इस मंदिर में कई सदियों पुराना नंदी की प्रतिमा है। पुरातत्व के विभाग भी इस नंदी प्रतिमा का अंदाजा नहीं लगा पाए।

भोलेनाथ तो भक्तों को लिए भोले हैं

भगवान शंकर को भोलेनाथ भी कहा जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से शिव को पूजते हैं, उनका ध्यान करते हैं। भगवान भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। जो भी भक्त जैसी भावना से भगवान को पूजता है उसके लिए वरदान देने में वे देरी नहीं करते। हर भक्त की मनोकामना पूरी करने वाले बाबा को ही भोले बाबा कहा जाता है। यहां आपको बता दें कि अर्धनारीश्वर का एक अर्थ धार्मिक गुरू भी बताते हैं। कई आध्यात्मिक गुरूओं का कहना है कि हर इंसान के अंदर स्त्री और पुरुष का गुण होता है।

जब को पुरुष और स्त्री साधना पथ पर आगे बढ़ता है तो उसे कुछ समय बाद इसका आभास होने लगता है। इसके बाद जब साधना के उच्च स्तर पर कोई पहुंचता है तो उसे स्त्री और पुरुष का भेद मिट जाता है और सब समान दिखाई पड़ते हैं। इसलिए शिव ने अर्धनारीश्वर के माध्यम से एक गूढ़ रहस्य समझाने की बात भी कही है। फिलहाल, शिवालयों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है। मंत्र और भज करते रहना चाहिए, इससे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।

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